धनबाद(DHANBAD) : नगर निगम क्षेत्र में दूसरे दिन गुरुवार को भी सफाई कार्य ठप रहे. निगम के मुख्य गेट पर ताला लटका रहा. ऑफिशियल भी कोई काम नहीं हो रहे है. निगम के कर्मचारी अपने 'बॉस' के समर्थन में हड़ताल पर चले गए हैं. इधर, झमाड़ा कर्मियों के आश्रितों का धरना अभी भी जारी है. मंगलवार की शाम आश्रितो के परिजन और निगम कर्मियों के बीच धक्का-मुक्की, मारपीट, गाली-गलौज हुई थी. झमाड़ा कर्मियों के आश्रित एक साल से धरना दे रहे हैं. वह अनुकंपा पर नियोजन मांग रहे हैं. मंगलवार को धरना स्थल से उठकर नगर आयुक्त के कार्यालय के समक्ष धरना पर बैठ गए थे और यहीं से शुरू हुआ बवाल. आंदोलनकारी नगर आयुक्त को भी बाहर नहीं निकलने दे रहे थे.
मंगलवार की शाम को हो गई थी भिड़ंत
इसके बाद शाम को जब नगर आयुक्त निकलने की कोशिश कर रहे थे तो बवाल हो गया. नगर आयुक्त के पक्ष में निगम के कर्मी और ठेकेदार उठ खड़े हुए. पुलिस ने भी हस्तक्षेप किया. आंदोलनकारी नगर आयुक्त की गाड़ी के आगे लेट गए. उसके बाद हंगामा अधिक हो गया. मामला मारपीट तक पहुंच गया, बुधवार को इसके खिलाफ निगम कर्मियों ने हड़ताल कर दी. सफाई काम ठप कर दिया. सफाई काम गुरुवार को दूसरे दिन भी ठप रहा. निगम कर्मियों का कहना है कि नगर आयुक्त के साथ और उनके साथ अभद्र व्यवहार करने वाले लोगों के खिलाफ जब तक कार्रवाई नहीं होती है, तब तक सफाई कार्य शुरू नहीं करेंगे. इधर दो दिनों से सफाई काम ठप होने से अब जगह-जगह कचरा दिखने लगा है. हड़ताल आगे भी जारी रही तो समस्याएं बढ़ेगी.
नगर आयुक्त का कहना है कि नौकरी देना उनके हाथ में नहीं
इधर, नगर निगम में हो रहे बवाल के संबंध में नगर आयुक्त का कहना है कि आंदोलन कर रहे झमाड़ा के मृतक कर्मियों के आश्रितों के साथ उनकी पूरी सहानुभूति है. लेकिन नौकरी देना उनके हाथ में नहीं है. आश्रितों के साथ पहले हुई बातचीत के बाद उनकी मांगों को नगर विकास विभाग को भेजा जा चुका है. जो भी निर्णय लेना होगा, अब सरकार स्तर पर ही होगा. इधर, इस घटना ने कई सवाल भी खड़े किए है. निगम कर्मियों का आरोप है कि पुलिस प्रशासन का उनको सहयोग नहीं मिला, जिस वजह से आंदोलनकारी ज्यादा उग्र हो गए. इधर, आश्रितों का कहना है कि उनका आंदोलन शांतिपूर्ण था, नगर आयुक्त झमाड़ा के कार्यालय में नहीं आ रहे थे. इसलिए अपनी समस्या बताने उनके कार्यालय गए थे लेकिन वहां उनके साथ मारपीट की गई. नगर आयुक्त ही झमाड़ा के एमडी के चार्ज में है.
रिपोर्ट : सत्यभूषण सिंह, धनबाद
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