धनबाद(DHANBAD): झारखंड मुक्ति मोर्चा की सियासत में यह सवाल तेजी से घूम रहा है कि झारखंड मुक्ति मोर्चा का केंद्रीय नेतृत्व विधायक चमरा लिंडा पर नरम तो विधायक लोबिन हेंब्रम पर गरम क्यों है. यह अलग बात है कि यह पार्टी की अंदरूनी राजनीति का हिस्सा हो सकता है. लेकिन झारखंड मुक्ति मोर्चा की कार्रवाई को लेकर सवाल तो किये जा रहे है. दोनों विधायकों का अपराध एक जैसा ही है. चमरा लिंडा लोहरदगा से 2024 लोकसभा चुनाव में निर्दलीय उम्मीदवार बनाकर चुनाव लड़े, तो राजमहल से लोबिन हेंब्रम भी निर्दलीय चुनाव लडे. यह बात अलग है कि चमरा लिंडा और लोबिन हेंब्रम को वहां की जनता ने पूरी तरह से नकार दिया. यह साबित कर दिया कि पार्टी की छत्रछाया में ही उनकी राजनीति चमक रही थी.
पार्टी से अलग हुए तो जनता ने भी नकार दिया
पार्टी से अलग हुए तो जनता ने उन्हें स्वीकार नहीं किया. उनकी बातों पर वोटरों ने भरोसा नहीं किया. लोहरदगा लोकसभा सीट पर चमरा लिंडा को 45,998 वोट मिले. इस सीट पर कांग्रेस की ओर से इंडिया गठबंधन के उम्मीदवार सुखदेव भगत को 4,83,038 वोट प्राप्त हुए. जबकि उनके प्रतिद्वंदी भाजपा के समीर उरांव को 3,43,9 00 वोट प्राप्त हुए. एक तरह से लोहरदगा की जनता ने चमरा लिंडा को पूरी तरह से नकार दिया. अब चलिए राजमहल की बात करते है. राजमहल लोकसभा सीट पर लोबिन हेंब्रम को केवल 42,140 वोट मिले. जबकि इंडिया गठबंधन की ओर से झारखंड मुक्ति मोर्चा के विजय हांसदा को 6 , 13,371 मत प्राप्त हुए. जबकि भाजपा के ताला मरांडी को 4 , 35,107 वोट मिले.
पचास हज़ार का भी आकड़ा नहीं छू सके लोबिन और चमरा
इस तरह से यह आईने की तरह बिल्कुल साफ हो गया है कि चमरा लिंडा और लोबिन हेंब्रम 50,000 तक का आंकड़ा नहीं पा सके. जनता उनको इस लायक नहीं समझी कि कम से कम एक सम्मानजनक वोट देकर उनकी राजनीति को आगे बढ़ाने का मौका दे. हेंब्रम के खिलाफ स्पीकर न्यायाधिकरण में केस दर्ज हो गया है. झारखंड मुक्ति मोर्चा अध्यक्ष शिबू सोरेन ने स्पीकर रविंद्र नाथ महतो को दल बदल की शिकायत की है और इसी शिकायत पर लोबिन हेंब्रम के खिलाफ स्पीकर न्यायाधिकरण में केस दर्ज हो गया है. इसके पहले झारखंड मुक्ति मोर्चा ने लोबिन हेंब्रम को पार्टी से निलंबित करते हुए 6 साल के लिए निष्कासित भी कर दिया था. लेकिन चमरा लिंडा को केवल निलंबित किया गया है. जिस समय यह कार्रवाई हुई थी, उस समय भी यह सवाल उठाए गए थे कि चमरा लिंडा के खिलाफ झारखंड मुक्ति मोर्चा सॉफ्ट नेचर अख्तियार किए हुए हैं, जबकि लोबिन हेंब्रम के खिलाफ सख्त कार्रवाई की गई है. तो क्या यह माना जाए कि विधानसभा चुनाव के पहले चमरा लिंडा का निलंबन वापस ले लिया जाएगा और झारखंड मुक्ति मोर्चा उन्हें टिकट देकर चुनाव में खड़ा करेगा. लेकिन लोबिन हेंब्रम के साथ ऐसा कुछ दिख नहीं रहा है.
लोबिन हेंब्रम झारखंड में गठबंधन सरकार के खिलाफ लगातार मुखर रहे
लोबिन हेंब्रम झारखंड में गठबंधन सरकार के खिलाफ लगातार मुखर रहे है. उन्होंने आंदोलन भी किया, मनाने के बावजूद राजमहल लोकसभा सीट से निर्दलीय चुनाव लड़कर झारखंड मुक्ति मोर्चा को नुकसान पहुंचाने की कोशिश की. यहां झारखंड मुक्ति मोर्चा के उम्मीदवार विजय हांसदा थे. हालांकि विजय हांसदा चुनाव जीतकर लोबिन हेंब्रम की राजनीति पर ही संकट खड़ा कर दिया है. वैसे ,लोहरदगा सीट से चमरा लिंडा भी निर्दलीय चुनाव लड़े थे. यहां गठबंधन की ओर से कांग्रेस के प्रत्याशी सुखदेव भगत थे. हालांकि लोहरदगा में भी चमरा लिंडा कोई फैक्टर नहीं बन सके और सुखदेव भगत आराम से चुनाव जीत गए. 2 महीने बाद ही झारखंड में विधानसभा का चुनाव होने जा रहा है. जो भी हो लेकिन ऐसा लगता है कि चमरा लिंडा पर झारखंड मुक्ति मोर्चा सॉफ्ट हैं तो लोबिन हेम्ब्रम के खिलाफ कठोर कदम का मन बनाए हुए है. अब देखना होगा कि आगे -आगे होता है क्या.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो
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