धनबाद(DHANBAD): अपनी जन्मस्थली धनबाद में ही झारखंड मुक्ति मोर्चा का जिला संगठन केंद्रीय नेतृत्व की कठिन परीक्षा ले रहा है. जिला कमेटी के चुनाव की बात कौन करे, प्रखंड समितियों का चयन भी मुश्किल हो गया है. बलियापुर और तोपचांची में तो केवल दावेदारों के नाम लेकर ही संयोजक मंडली को लौटना पड़ा है. 17 दिसंबर तक अलग अलग जगहों पर चयन की तिथि निर्धारित की गई है. देखना होगा कि उन जगहों पर प्रखंड समिति बनती है या बालिएपुर और तोपचांची की तरह ही विवाद होता है. रमेश टुडू की अध्यक्षता वाली जिला कमेटी को केंद्रीय नेतृत्व ने भंग कर संयोजक मंडली बना दी है. इस मंडली को जिम्मेवारी दी गई है कि प्रखंडों में कमेटी का गठन करे.
गुटों में बंटे कार्यकर्ता कुछ सुनने को तैयार नहीं
सदस्य सभी जगहों पर गुरु जी के नाम की दुहाई दे रहे हैं लेकिन गुटों में बंटे कार्यकर्ताओं के सवालों के आगे निरुत्तर हो जा रहे है. 5 दिसंबर को बलियापुर में कमेटी का गठन करने संयोजक मंडली पहुंची तो हंगामा हो गया. दोनों गुट आपस में टकराने को आमदा थे. अंत अंत तक प्रयास के बाद भी बात नहीं बनी. उसके बाद संयोजक मंडली लौट गई. तय कार्यक्रम के अनुसार 6 दिसंबर को तोपचांची में प्रखंड कमेटी का गठन होना था. मंगलवार को सदस्य तोपचाची पहुंचे भी, लोगों का जुटान भी हुआ, लेकिन चुनाव नहीं हो पाया. प्रखंड अध्यक्ष और सचिव के लिए कुछ नामों को लेकर संयोजक मंडल के सदस्य लौट आये. झारखंड मुक्ति मोर्चा धनबाद जिला कमेटी में पूर्व अध्यक्ष रमेश टुडू और पूर्व सचिव पवन महतो के बीच 3 साल से विवाद चल रहा था. जिले में दो समानांतर कमेटियां काम कर रही थी.
केंद्रीय नेतृत्व को करना पड़ा हस्तक्षेप
विवाद जब बहुत अधिक बढ़ गया तो केंद्रीय नेतृत्व ने इसमें हस्तक्षेप किया. एक बार तो पंचायती कर विवाद ख़त्म करने की कोशिश की गई लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला. उसके बाद केंद्रीय नेतृत्व ने धनबाद जिला कमेटी को भंग कर दिया और संयोजक मंडली की घोषणा कर दी. इस मंडली को जिम्मेवारी दी गई कि प्रखंडों में कमेटी का गठन करे. संयोजक मंडली के सदस्य बनाये गए हैअमितेश सहाय, डॉक्टर नीलम मिश्रा ,अशोक मंडल, कंसारी मंडल, धरणीधर मंडल, अलाउद्दीन अंसारी, सुकलाल मरांडी लेकिन इस संयोजक मंडली को प्रखंडों में चुनाव कराना मुश्किल हो रहा है. 5 और 6 दिसंबर को तो यह मंडली बलियापुर और तोपचांची से सिर्फ अध्यक्ष और सचिव के कुछ नामों को लेकर लौट आई. दो दिनों के हालात को देखने के बाद ऐसा नहीं लगता कि धनबाद में टकरा रहे दोनों गुट पीछे हटने को तैयार है. ऐसे में केंद्रीय नेतृत्व के समक्ष भी परेशानी बढ़ेगी. देखना होगा आखिर इसका निदान कैसे पार्टी नेतृत्व निकालता है.
रिपोर्ट: सत्यभूषण सिंह, धनबाद
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