धनबाद(DHANBAD): झारखंड का कोयला और झारखंड ही झेल रहा है बिजली संकट. हालांकि यह बिजली संकट कोई नया नहीं है और नहीं यह सवाल नया है. लेकिन इस सवाल पर न सरकार की आंखें कभी खुली और ना ही जनप्रतिनिधियों की. फिलहाल पूरे झारखंड में गर्मी से त्राहिमाम की स्थिति है. सुबह 7 बजे से ही गर्म हवाएं अपनी ताकत दिखा रही है. दोपहर होते-होते यह हवाएं आग का गोला बनकर बरसती है. चेहरे झुलस रहे हैं ,आंखों में जलन हो रही है, लोग बीमार पड़ रहे है. तापमान 42 से 43 डिग्री के आसपास चल रहा है. इस बीच बिजली कटौती ने लोगों को मुश्किल में डाल दिया है. रात में न चैन मिलती है और न दिन में सुकून. पंखे ,कूलर, एसी, इनवर्टर सभी जवाब दे जा रहे है. जिनके घर में छोटे-छोटे बच्चे हैं, उनकी तो हालत और भी खराब है. रात भर बच्चों को बाहर घूमा कर समय काट रहे है. आखिर यह स्थिति क्यों बनती है, सबको मालूम है कि गर्मी में अधिक बिजली की खपत होगी. झारखंड सरकार ने अतिरिक्त बिजली खरीदने की व्यवस्था की है बावजूद बिजली संकट लोगों को त्राहिमाम की स्थिति में लाकर खड़ा कर दिया है. कभी किसी स्तर पर कारण जानने की कोशिश नहीं की गई है.
झारखंड से हर महीने पावर प्लांटों को एवरेज 10-11 मिलियन टन कोयला जाता है
झारखंड से हर महीने पावर प्लांटों को एवरेज 10-11 मिलियन टन कोयले की आपूर्ति होती है. फिर भी बिजली के लिए यह प्रांत तरस रहा है. एक आंकड़े के मुताबिक झारखंड के पावर प्लांटों के साथ देश के 8 राज्यों के पावर प्लांटो को झारखंड से कोयला जाता है. एक अन्य आंकड़े के मुताबिक पूरे प्रदेश को 3500 मेगावाट बिजली की जरूरत है लेकिन हाथ पैर मारने के बाद भी लगभग 3000 मेगा वाट की आपूर्ति ही हो पा रही है, वह भी निर्वाध नहीं. झारखंड देश के कोयला बहुल राज्यों में से एक है. कोयला रिजर्व के मामले में पहले नंबर पर है. यहां सालाना लगभग 130 मिलियन टन कोयले का उत्पादन होता है. इसके बाद भी जरूरत भर बिजली नहीं मिलना चिंता की बात है. अप्रैल महीने में कोयले के डिस्पैच के आंकड़े पर भरोसा करें तो झारखंड के सीसीएल से 7. 65 मिलियन टन ,बीसीसीएल से 3.17 मिलियन टन कोयले का डिस्पैच हुआ है. 90% कोयला पावर प्लांटों को भेजा गया है. इसके अलावा झारखंड में ईसीएल की खदानों से भी पावर प्लांटों को कोयले की आपूर्ति हुई है. कैपटिव कोयला खदानों के साथ-साथ कमर्शियल कोल ब्लॉक से भी उत्पादन का कुछ हिस्सा पावर प्लांट को गया है.
प्रदूषण झेलते है झारखंड के लोग और बिना बिजली के भी रहते
कोयले की खदान एवं पावर प्लांट से होने वाले प्रदूषण का खामियाजा झारखंड के लोग झेलते है लेकिन उन्हें पर्याप्त बिजली भी नहीं मिलती है. झारखंड की जमीन, पानी और कोयला से बिजली उत्पादन होता है लेकिन झारखंड को ही बिजली नहीं मिलती. झारखंड के राजनीतिक लोग अपने ही समस्याओं से परेशान रहते है. राजनीति में व्यस्त रहते है. किसको उठाना है ,किसको बैठाना है, इसी राजनीति और साजिश में उनका समय चला जाता है. जनता किस हाल में इस गर्मी में जी रही है, इसका आकलन करने के लिए न कोई समिति है और न कोई अधिकारी. गर्मी का जब वक्त आता है तो चापाकल दुरुस्त करने की बात सामने आने लगती है, बिजली व्यवस्था ठीक करने की घोषणाएं होने लगती है, लेकिन गर्मी के पहले सारी व्यवस्थाओं को दुरुस्त कर लिया जाता तो जनता को जरूर राहत मिलती लेकिन ऐसा कभी होता नहीं है.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो
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