धनबाद(DHANBAD) संस्कार युक्त शिक्षा से भावी पीढ़ी के चरित्र निर्माण , कौशल विकास एवं उद्यमिता के लिए तैयार करना नई शिक्षा नीति का मूल उद्देश्य है. उपर्युक्त विचार व्यक्त करते हुए अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के उच्च शिक्षा संवर्ग के राष्ट्रीय प्रभारी महेंद्र कुमार ने शिक्षकों से अनुरोध किया वे नई शिक्षा नीति के तहत छात्र एवं छात्राओं को इस तरह शिक्षित - प्रशिक्षित करें कि उन्हें अपने देश और उसकी संस्कृति पर गर्व हो. वह सोमवार को जे सी मल्लिक रोड स्थित एक आवास में विद्यालयी एवं उच्च शिक्षा से जुड़े महासंघ की धनबाद इकाई के पदाधिकारियों की बैठक को मुख्य अतिथि पद से संबोधित कर रहे थे. कहा कि भारत को विश्व गुरु के पद पर पुनर्प्रतिसष्ठापित करना ही राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के गठन का मुख्य उद्देश्य रहा है. किन्तु यह कार्य केवल सरकार अथवा विश्वविद्यालय एवं महाविद्यालय प्रशासन से संभव नहीं है. इस कार्य में शिक्षकों की भूमिका सर्वाधिक महत्वपूर्ण है. कहा कि नयी राष्ट्रीय शिक्षा नीति के समुचित क्रियान्वयन में अभी भी बहुत तरह की चुनौतियां सामने है. आवश्यक है इन चुनौतियों का सामना करते हुए नई शिक्षा नीति को सम्यक रूप से लागू करने के लिए समाज में समुचित जागरूकता पैदा की जाये.
पाठ्यक्रम के अनुसार पुस्तक एवं पाठ्य सामग्री उपलब्ध जरुरी
इसके लिए विद्यार्थियों को पाठ्यक्रम के अनुसार पुस्तक एवं पाठ्य सामग्री उपलब्ध कराना भी उतना ही आवश्यक है. बैठक को संबोधित करते हुए महासंघ के प्रदेश संगठन मंत्री डॉ राजकुमार चौबे ने संगठन के उद्देश्यों की विशद व्याख्या की तथा महासंघ के विस्तार की रूपरेखा धनबाद इकाई के पदाधिकारियों के समक्ष रखा. बताया कि संगठन विस्तार एवं महासंघ की ईकाई गठन के लिए डॉक्टर भगवान पाठक को संयोजक एवं डॉक्टर अनिल कुमार सिंह को सहसंयोजक का उत्तरदायित्व देने का निर्णय सर्वसम्मति से लिया गया. उन्होंने यह भी कहा कि इस निमित्त 24 मई को एक बैठक आयोजित की जाएगी, जिसमें महासंघ की धनबाद इकाई का पुनर्गठन एवं विस्तार किया जाएगा. बैठक में उपस्थित शिक्षकों में डॉ कृष्ण मुरारी सिंह ,जन्मेजय कुमार दुबे, रमाकांत सिंह ,डॉक्टर मुकुन्द रविदास ,रूपेश कुमार सिंह एवं समीर कुमार आदि प्रमुख थे. बैठक का संचालन महासंघ की धनबाद इकाई के महासचिव डॉ मनोज कुमार तिवारी ने किया.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो
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