धनबाद(DHANBAD) : झारखंड में इंडिया गठबंधन ने प्रचंड बहुमत हासिल की है. लेकिन इंडिया गठबंधन को इस प्रचंड बहुमत के मतलब को भी समझना होगा. किए गए वादे को हमेशा ध्यान में रखना होगा. यह अलग बात है कि जितनी घोषणाएं का गई है, उन्हें पूरा करने में फंड की कमी भी आ सकती है. लेकिन इसके लिए सरकार को कई स्तरों पर काम करना होगा. गठबंधन की सरकार होगी, इस वजह से खींचतान भी हो सकती है. वैसे, गठबंधन धर्म को निभाना सभी दलों की मजबूरी होगी. सरकार को मजबूत इरादे से काम करना होगा. चुनाव के पहले इंडिया गठबंधन की ओर से किए गए वादों की सूची को प्राथमिकता के आधार पर जमीन पर उतारना होगा. आर्थिक मामलों के जानकार भी यह मान रहे हैं कि चुनाव के पहले किए गए वायदे को जमीन पर उतारना सरकार के लिए चुनौती होगी. लेकिन ऐसा नहीं है कि इन्हे पूरा नहीं किया जा सकता है.
संसाधन में वृद्धि और पारदर्शी टैक्स वसूली व्यवस्था की जरुरत
संसाधन में वृद्धि और पारदर्शी टैक्स वसूली व्यवस्था कर सरकार इसे पूरा कर सकती है. इंडिया गठबंधन ने चुनाव के पहले युवाओं के रोजगार सहित अन्य घोषणाएं की है. मंईयां सम्मान योजना के रास्ते गठबंधन सत्ता तक पंहुचा है. रोजगार के अवसर को तलाशना झारखंड की सबसे बड़ी चुनौती होगी. खनिज संपदाओं से भरा यह प्रदेश रोजगार देने के मामले में पिछड़ता रहा है और यही वजह है कि झारखंड से काफी संख्या में लोग रोजगार की तलाश में पलायन करते है. हेमंत सोरेन आज चौथी बार मुख्यमंत्री की शपथ ले रहे है. यह अलग बात है कि पिछले एक साल में हेमंत सोरेन को जिन-जिन चुनौतियों का सामना करना पड़ा है.
झंझावातों से हेमंत सोरेन ने बहुत कुछ सीखा होगा
उससे निश्चित रूप से उन्होंने बहुत कुछ सीखा होगा. राजनीतिक दांव-पेंच की जानकारी भी मिली होगी. यह बात भी सच है कि गठबंधन में कांग्रेस को साधने के लिए हेमंत सोरेन ने दिल्ली में नेताओं से भेंट कर इस बात से लगभग निश्चित हो गए हैं कि आगे कांग्रेस को ले किचकिच नहीं होगी. पिछली सरकार में कांग्रेस के चार मंत्री थे. इस सरकार में भी कांग्रेस चार मंत्रियों की डिमांड कर रही है. वैसे यह भी जानकारी निकल कर आई है कि 5-1 के फार्मूले पर गठबंधन के साथी दलों को मंत्री पद मिल सकता है. ऐसा हुआ तो कांग्रेस के कोटे में कटौती हो सकती है. राजद चार सीटों पर चुनाव जीता है तो माले को दो सीट मिली है. झामुमो 34 सीट जीता है. मंत्रिमंडल में क्षेत्रवार प्रतिनिधित्व भी इस बार चुनौती बन सकती है. वैसे आज हेमंत सोरेन अकेले मुख्यमंत्री की शपथ ले रहे है. आगे-आगे देखना है होता है क्या ??
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो
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