धनबाद(DHANBAD): झारखंड के चतरा जिले में पेट्रोल पंप मालिकों ने डीजल लदे दो टैंकरों को जब्त कर पुलिस के हवाले कर दिया है. मामला तो सुनने में बड़ा साधारण लगता है लेकिन इसको अगर आधार बनाकर झारखंड सरकार या केंद्र सरकार की कोई एजेंसी गंभीरता से जांच करें तो बड़ा खुलासा हो सकता है. आउट सोर्सिंग कंपनियां सहित भारत सरकार के उपक्रम भी कठघरे में खड़े मिलेंगे. यह भी खुलासा संभव है कि हर महीने झारखंड में दूसरे राज्यों से लाकर कितनी डीजल की खपत यहां की कंपनियां कर रही है. जानकारी के अनुसार चतरा में पकड़े गए टैंकर कानपुर से चले थे. इन्हें रांची जाना था फिर रांची से धनबाद भी पहुंचना था. टैंकर चतरा कैसे पहुंचा, यह अपने आप में जांच का विषय है.
दूसरे प्रदेशों से डीजल मंगाने का हुआ खुलासा
पेट्रोल पंप एसोसिएशन का आरोप है कि अम्रपाली कोल परियोजना में चल रही आउटसोर्सिंग कंपनी ऐसे ही टैंकरों के माध्यम से बाहर के प्रदेशों से डीजल मंगाती है और यहां काम करती है. यह डीजल सही है अथवा मिलावटी, यह तो जांच के बाद ही स्पष्ट हो पाएगा लेकिन इतना तय है कि इससे झारखंड सरकार को बड़ा नुकसान हो रहा है. एक अनुमान के अनुसार झारखंड सरकार को प्रति महीने डेढ़ सौ करोड़ से अधिक राजस्व का नुकसान हो रहा है. झारखंड में वैट पड़ोसी राज्यों से अधिक है, झारखंड में वैट की दर 22% प्लस ₹1 प्रति लीटर है. पश्चिम बंगाल, बिहार ,उत्तर प्रदेश में कम है. नतीजतन यहां की कंपनियां बाहर से डीजल मंगा कर काम कर रही है. यह नियम के विरुद्ध है, गैर कानूनी है, प्रदेश सरकार भी इसे समझती है. लेकिन वैट घटाकर बिक्री बढ़ाने की दिशा में कुछ नहीं करती.
वैट की दर घटेगी तो सरकार की आमदनी बढ़ेगी
जबकि पेट्रोलियम डीलर्स एसोसिएशन लगातार सरकार से वैट घटाने की मांग कर रहा है. और सरकार को भरोसा दे रहा है कि वैट कम जाने से सरकार का राजस्व घटेगा नहीं , बल्कि और अधिक बढ़ जाएगा. इधर, झारखंड पेट्रोलियम डीलर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष अशोक कुमार सिंह ने कहा है कि झारखंड सरकार को वैट की दर पर विचार करना चाहिए. चतरा में जो मामले पकड़ में आए हैं ,इसके उदाहरण है. झारखंड की आउटसोर्सिंग कंपनियों में बाहर से आ रहे डीजल की खपत हो रही है, जबकि आउटसोर्सिंग कंपनियां, जो भी कार्यरत हैं ,उनका मालिकाना हक भारत सरकार के पास ही रहता है. बीसीसीएल, सीसीएल इसके उदाहरण हो सकते है. प्रदेश अध्यक्ष ने कहा है कि कोयलांचल सहित सभी जिलों में इस तरह बाहर के प्रदेशों से मंगा कर डीजल की खपत हो रही है और सरकार चुपचाप हाथ पर हाथ धरे बैठी है. इससे झारखंड के पेट्रोल पंप मालिकों को तो नुकसान हो ही रहा है, प्रदेश सरकार को भी राजस्व की हानि हो रही है. सरकार को यह देखना चाहिए कि जो भी आउटसोर्सिंग कंपनियां कार्यरत हैं, उनके एकरारनामे में यह उल्लिखित रहता है कि पेट्रोलियम पदार्थ की खरीद लोकल होनी चाहिए लेकिन अधिक से अधिक मुनाफा कमाने के लिए आउटसोर्सिंग कंपनियां बाहर से डीजल मंगा रही है और सरकार को नुकसान पहुंचा रही है.
रिपोर्ट: सत्यभूषण सिंह, धनबाद
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