रांची: झारखंड का श्रम विभाग प्रदेश में न्यूनतम मजदूरी दर को पुनरीक्षित करने की तैयारी कर रहा है प्रतिदिन न्यूनतम मजदूरी दर क्या हो इस पर सभी हित धारकों से सुझाव मांगे गए हैं इनमें से चैंबर भी एक बड़ा हित धारक है. इसको लेकर पिछले दिनों श्रम विभाग के सचिव ने विभिन्न हिट धारकों के साथ बैठक भी की थी. चैंबर ने न्यूनतम मजदूरी दर निर्धारण को लेकर आपस में एक मंत्रणा की है.
न्यूनतम मजदूरी दर के संबंध में चैंबर ने क्या कहा
राज्य सरकार के श्रम विभाग द्वारा प्रदेश में महंगाई भत्ता सहित दैनिक एवं मासिक न्यूनतम मजदूरी की दरों के मुद्दे पर व्यापार एवं उद्योग जगत के सुझाव जानने हेतु आज झारखण्ड चैंबर द्वारा एक बैठक बुलाई गई.न्यूनतम मजदूरी की दरों के निर्धारण और पुनरीक्षण के संबंध में झारखण्ड न्यूनतम मजदूरी परामर्शदात्री पर्षद् की बैठक में आए विषयों पर हुई चर्चा हुई . चैंबर के अध्यक्ष किशोर मंत्री ने सदस्यों से उनके विचार मांगे.इस दौरान ओडिशा ,पश्चिम बंगाल और बिहार में प्रभावी दरों की भी समीक्षा की गई. बैठक में चर्चा हुई कि पहले से ही उद्योग एवं व्यापार जगत कई तरह की चुनौतियां का सामना कर रहा है.ऐसे में वर्तमान न्यूनतम मजदूरी की राशि में 5 प्रतिशत तक की ही वृद्धि की जानी चाहिए.
राज अस्पताल संचालक जोगेश गंभीर और उद्योगपति बिनोद अग्रवाल ने कहा कि न्यूनतम मजदूरी में ऐसे भी हर 6 माह में वीडीए के आधार पर बढोत्तरी की जाती है जो कि 4 साल में 28 फीसदी की वृद्धि पहले ही हो चुकी है.फिर अलग से और वृद्धि करना उचित नहीं है.उन्होंने यह भी कहा कि न्यूनतम मजदूरी दर का पुर्ननिर्धारण 5 वर्षों में होता है. इसलिए अभी इस विषय को उठाना उचित नहीं है.
और क्या हो रहा आगे
मालूम हो कि इस मामले में चैंबर द्वारा सभी प्रमंडलों के क्षेत्रीय उपाध्यक्ष और सम्बद्ध संस्थाओं से भी पत्राचार कर उनके सुझाव मांगे गये हैं. चैंबर अध्यक्ष ने कहा कि झारखंड के सभी जिलों के व्यापारी, उद्यमियों से सुझाव लेकर चैंबर द्वारा श्रम विभाग को अवगत कराया जायेगा. कई श्रमिक संगठनों ने न्यूनतम मजदूरी दर प्रतिदिन 500 रुपए करने की मांग की है.
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