धनबाद(DHANBAD) : 2014 से लेकर 2019 तक झारखंड में सरकार की बात को अगर छोड़ दी जाए, तो जब भी सरकार का गठन होता रहा है. बीच-बीच में खरमंडल भी देखने और सुनने को मिलते रहे है. इसका एक वजह यह बताया जाता है कि खरमास महीने में झारखंड सरकार शपथ लेती थी. लेकिन इस बार ऐसा कुछ नहीं होगा. यह अलग बात है कि झारखंड मुक्ति मोर्चा समय से पहले चुनाव कराने का आरोप लगा रहा है. झारखंड में अमूमन 15 दिसंबर के बाद चुनाव होता था. 15 दिसंबर से लेकर 14 जनवरी तक खरमास होता है. इस कारण गठित होने वाली सरकार को इसी बीच शपथ लेना पड़ता था. लेकिन इस बार जब नई सरकार बनेगी, तो खरमास की बात सामने नहीं आएगी.
झारखंड में पहली बार दो चरणों में चुनाव हो रहा
वैसे तो झारखंड में पहली बार दो चरणों में चुनाव हो रहा है. राज्य गठन के बाद से अब तक एक बार छोड़कर हमेशा पांच चरणों में चुनाव होता रहा है. साल 2005 में तीन चरणों में चुनाव हुआ था. 2009 में 5 चरणों में चुनाव कराया गया था. 2019 में भी पांच चरण में चुनाव हुआ था. इस बार दो चरणों में चुनाव कराने का निर्णय लिया गया है. वैसे, तो 2024 का चुनाव कई इतिहास बनाएगा. 2019 से लेकर 2024 के बीच झारखंड ने कई बदलाव और उतार-चढ़ाव देखा. मुख्यमंत्री को इस्तीफा देकर जेल जाते देखा. फिर एक मुख्यमंत्री को कुर्सी से अपदस्थ होते देखा. वह मुख्यमंत्री का पार्टी से इतना अधिक दिल टूटा कि अपनी वर्षों पुरानी तपस्या की तिलांजलि देकर भाजपा में शामिल हो गए. झारखंड ने यह भी देखा कि गुरु जी के घर में सेंधमारी हुई और उनकी बड़ी बहू झारखंड मुक्ति मोर्चा छोड़कर भाजपा में चली गई. बाबूलाल मरांडी की पार्टी का विलय भाजपा में हो गया.
पार्टी के विलय के बाद बाबूलाल मरांडी बन गए प्रदेश अध्यक्ष
बाबूलाल मरांडी प्रदेश भाजपा अध्यक्ष बन गए. इन सब बदलाव का गवाह बनने के बाद झारखंड में फिर चुनाव आ गया है. 23 नवंबर को परिणाम की घोषणा होगी. उसके बाद सरकार का गठन हो जाएगा. चुनाव आयोग ने महाराष्ट्र के साथ-साथ झारखंड में भी चुनाव कराने का निर्णय लिया है. झारखंड मुक्ति मोर्चा ने झारखंड में चुनाव की घोषणा को लेकर भारत निर्वाचन आयोग की विश्वसनीयता पर सवाल किया है. कहा है कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की बढ़ती लोकप्रियता से भाजपा घबरा गई है. यही वजह है कि हेमंत सोरेन को अपना कार्यकाल पूरा नहीं करने दिया जा रहा है. इधर, भाजपा का कहना है कि चुनाव आयोग के दो चरणों में चुनाव कराने की घोषणा का हम स्वागत करते है. झारखंड मुक्ति मोर्चा अदृश्य भय से इसका विरोध कर रहा है.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो
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