धनबाद(DHANBAD) : झारखंड में विधानसभा चुनाव की रणभेरी बज गई है. झारखंड में विधानसभा चुनाव को लेकर क्या जदयू सीरियस है? क्या भाजपा सांसद ढुल्लू महतो की सीट बाघमारा पर जदयू दावा ठोकेगा? क्या सरयू राय जदयू में शामिल होंगे? क्या जदयू झारखंड में अकेले चुनाव लड़ेगा? क्या गठबंधन में चुनाव लड़ने की भी जदयू संभावना तलाश रहा है? क्या जदयू कुरमी को एसटी में शामिल करने का दवाब बनाएगा? यह सब ऐसे सवाल हैं, जो झारखंड के राजनीतिक गलियारों में तेजी से उमड़-घुमड़ रहे है. दावा तो यह किया जा रहा है कि 2004 में जदयू जिन सीटों पर जीत दर्ज की थी, उन सीटों पर जरूर चुनाव लड़ा जाएगा. उन सीटों में छतरपुर, डाल्टनगंज, तमाड़, बाघमारा, मांडू सीट शामिल है. दावा तो यह भी किया जा रहा है कि जदयू झारखंड में पूरी ताकत से विधानसभा का चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहा है. जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष व बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस पर सहमति दे दी है. उन्होंने झारखंड जदयू को चुनाव तैयारी में जुटने और जमीन पर जल्द काम शुरू करने का निर्देश दिया है.
जदयू कुल 11 विधानसभा सीटों पर कर सकता है दावा
जानकारी के अनुसार शनिवार को जदयू के झारखंड प्रदेश अध्यक्ष खीरु महतो के नेतृत्व में प्रदेश के पार्टी नेताओं ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मुलाकात की. इस बैठक में खीरु महतो ने राज्य की 11 सीटों पर दावेदारी करने की बात कही. साथ ही कुरमी समाज को एस टी में शामिल करने की भी मांग रखी. कहते हैं कि नीतीश कुमार ने भरोसा दिया है कि जल्द इस पर केंद्र से बात करेंगे. खीरु महतो के साथ कुरमी समाज के 13 नेता भी गए थे. उन्होंने कहा कि किन-किन सीटों की सूची नीतीश कुमार को दी गई है, इसका खुलासा अभी नहीं किया जा सकता. राष्ट्रीय अध्यक्ष जब इस पर सहमति देंगे, तो फिर प्रदेश के एनडीए के सहयोगियों से बात होगी. सरयू राय को लेकर कहा कि अगर वह जदयू में शामिल होते हैं, तो हम उनका स्वागत करेंगे. ऐसा माना जा रहा है कि जदयू झारखंड में अकेले और गठबंधन दोनों ही स्थिति में चुनाव लड़ने की संभावना तलाश रहा है.अगर झारखंड़ में जदयू अकेले चुनाव लड़ा तो कुरमी वोटरों को प्रभावित करने के लिए तीन तरफ़ा प्रयास होंगे. इस बार झारखंड की राजनीति में कई नए समीकरण भी जुड़ेंगे. सवाल उठ रहा है कि कुरमी की राजनीति के दम पर खड़ी आजसू को "2024 में कितनी बड़ी चुनौती मिलेगी, यह सवाल इसलिए उठ रहा है कि खतियानी नेता जयराम महतो की पार्टी ने लोकसभा चुनाव में अच्छा परफॉर्मेंस किया है. मतलब आजसू हो या जयराम महतो की पार्टी अथवा फिर नीतीश कुमार की पार्टी हो, सभी लोग कुरमी वोटो पर जोर लगाएंगे.
कुरमी वोटों का प्रतिशत कोई 25% कहता है तो कोई 16%
झारखंड में कुरमी वोटों का प्रतिशत कोई 25% कहता है तो कोई 16%, जो भी हो लेकिन अभी तक कुरमी वोटों पर झारखंड में सुदेश महतो का अधिकार था. लेकिन अब वह स्थिति नहीं है. जयराम महतो ने तो उसमें सेंध लगा दी है. अगर कुरमी वोट में नीतीश कुमार भी सेंध लगाते हैं, तो निश्चित रूप से आजसू का अधिकार टूट जाएगा और यह आजसू के लिए खतरे की घंटी हो सकती है. वैसे, लोकसभा चुनाव में गिरिडीह संसदीय क्षेत्र से जयराम महतो ने उम्मीदवारी की थी. लगभग 3. 50 लाख वोट लाकर सबको चौंका भी दिया था. इसके अलावे झारखंड के कई विधानसभा क्षेत्र में भी जयराम महतो की पार्टी ने बेहतर प्रदर्शन किया था. अब सवाल उठता है कि भाजपा या महागठबंधन के पास विकल्प क्या है. आजसू के पास भी विकल्प क्या है. इधर, अभी चर्चा यह भी है कि जयराम महतो पर पार्टियां डोरे डाल रही है. लेकिन फिर सवाल वही खड़ा होता है कि सुदेश महतो और जयराम महतो दोनों एक पार्टी के साथ गठबंधन कर चल नहीं सकते है. तो क्या झारखंड में गठबंधन की राजनीति किसी नए मोड़ की ओरे जाएगी ,यह भी अपने आप में सवाल है.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो
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