धनबाद(DHANBAD) : झारखंड के विधानसभा चुनाव में भाजपा या कहें एनडीए के लिए एक-एक सीट महत्वपूर्ण है. इसके लिए उपक्रम भी किये जा रहे है. परिवर्तन यात्रा समाप्त हो गई है. भाजपा और आजसू के गठबंधन की बात लगभग पक्की है. लेकिन भाजपा और आजसू का गठबंधन कई सीटों पर पेंच फंसा सकता है. कुछ लोग पार्टी बदल सकते हैं, जिसकी चर्चा अब धीरे-धीरे तेज होने लगी है. आजसू के लिए जयराम महतो तो खतरा बने हुए ही है. लेकिन पार्टी के भीतर के भी कुछ लोग लगातार खतरे की घंटी बजा रहे है. झारखंड में प्रतिपक्ष के नेता अमर कुमार बाउरी जहां से विधायक हैं, वहां भी पेंच फंसा हुआ बताया जा रहा है.
चंदनकियारी में फंस सकता है पेंच
गठबंधन में यह सीट भाजपा के खाते में जाएगी, यह बात तो लगभग तय है. लेकिन क्या आजसू के उमाकांत रजक इसे चुपचाप बर्दाश्त करेंगे या फिर वह चुनाव लड़ने का कोई तरीका ढूंढेगे. चर्चा तो बहुत है, कहा जा रहा है कि उमाकांत रजक ने दो टूक कह दिया है कि चंदनकियारी से वह चुनाव लड़ेंगे. परिस्थितियों चाहे जो भी हो. हो सकता है कि पार्टी बदलकर वह चुनाव लडे. चंदनकियारी सीट सुरक्षित सीट है. 2014 में झारखंड विकास मोर्चा के टिकट पर अमर कुमार बाउरी चुनाव जीते थे, लेकिन उसके बाद वह भाजपा में शामिल हो गए. बाबूलाल मरांडी कुछ नहीं कर पाए. उस समय बाबूलाल मरांडी झारखंड विकास मोर्चा के सुप्रीमो थे.
2009 में उमाकांत रजक बने थे विधायक
चुनाव के परिणाम पर नजर दौड़ाया जाए तो 2009 में उमाकांत रजक चंदनकियारी से विधायक बने थे. उन्हें 36,620 वोट मिले थे, जबकि अमर कुमार बाउरी को 33,103 वोट प्राप्त हुए थे. 2014 में अमर कुमार बाउरी ने 81,925 वोट लाकर विधायक बने तो उमाकांत रजक को 47,761 वोट प्राप्त हुए थे. 2019 में भाजपा और आजसू का गठबंधन नहीं था. अमर कुमार बाउरी को 67,739 वोट प्राप्त हुए थे, जबकि उमाकांत रजक 58,528 वोट लाकर दूसरे नंबर पर थे. इधर, जयराम महतो की पार्टी की भी नजर चंदनकियारी सीट पर है. देखना दिलचस्प होगा कि आगे-आगे होता है क्या.
हिमंता विश्व सरमा ने संभाल रखी है कमान
बीजेपी के चुनाव सह प्रभारी और असम के मुख्यमंत्री हिमता विश्व सरमा फिलहाल झारखंड में चुनाव की कमान संभाले हुए है. किस पार्टी से किसको तोड़कर भाजपा में लाना है, कौन कहां से जिताऊ उम्मीदवार हो सकता है. इन सब की गणना चल रही है. कोल्हान के टाइगर को भाजपा में शामिल करने का श्रेय भी असम के मुख्यमंत्री को ही जाता है. चर्चा तो यह भी थी कि कोल्हान के टाइगर के साथ झामुमो के कई विधायक भाजपा ज्वाइन कर सकते हैं, लेकिन झारखंड मुक्ति मोर्चा ने इस पर ब्रेक लगा दी. दरअसल, झारखंड मुक्ति मोर्चा चाहता भी था कि चंपाई सोरेन पार्टी से खुद अलग हो जाए. क्योंकि मुख्यमंत्री पद से हटने के बाद चंपाई सोरेन से हेमंत सोरेन को खतरा महसूस हो रहा था. इसलिए भी हेमंत सोरेन ने चम्पाई सोरेन को मनाने के बजाय पार्टी छोड़ने का मौका दिया. लेकिन उनके समर्थक विधायकों से सीधा संपर्क बनाकर चंपाई सोरेन की मुहिम में की हवा निकाल दी.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो
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