रांची(RANCHI): झारखंड में खातियान आंदोलन से शुरू हुई झारखंडी भाषा खतियान संघर्ष समिति पार्टी अब बिखरने लगी है. हजारीबाग में JBKSS से राजनीतिक पारी की शुरुआत करने वाले संजय मेहता के पार्टी छोड़ने के बाद जयराम महतो पर सवाल खड़ा होने लगा है. जिस पार्टी को खड़ा करने में युवाओं ने खून पसीना एक किया, अब वह अलग राह पर क्यों जाने को बेबस है. क्या पार्टी अपनी राह और इरादे से भटक गई है या फिर पार्टी के प्रमुख जयराम महतो अब अलग राह पर चलने की कोशिश कर रहे है जिस वजह से साथी पीछे छूटते जा रहे है.
दरअसल संजय मेहता ने मंगलवार को पार्टी की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया. साथ ही अपमान का आरोप लगाया है. इस मामले में जब THE NEWS POST ने फोन पर बात की तो उन्होंने खुल कर तो ज्यादा नहीं बोला लेकिन इशारा साफ था कि कोई व्यक्ति खुद को प्रमोट करने में लगा हुआ है. जब हजारीबाग में कोई कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा था तब उन्हे इसकी जानकारी भी नहीं दी जा रही थी. अपमान का घूंट पी कर लंबे समय तक पार्टी से जुड़ा रहा, लेकिन जब हद पार होने लगी तो अब निर्णय लेना पड़ा है.
संजय मेहता ने बताया कि भारी मन से पार्टी को छोड़ने का निर्णय लिया है. इस पार्टी को सभी ने अपने खून और पसीने से सींचा है. लोकसभा चुनाव में भी एक अलग पहचान मिली है. सभी लोगों का साथ मिल रहा था, लेकिन हाल में उन्हे पार्टी के कार्यक्रम और सभी गतिविधि की जानकारी देना बंद कर दिया गया. जब जयराम महतो हजारीबाग में कार्यक्रम कर रहे थे तब भी उन्हें किसी तरह की कोई जानकारी नहीं दी गई. यही वजह है कि जब कोई जानकारी नहीं दी जा रही है तो उस जगह में रहना उचित नहीं है.
उन्होंने बताया कि पार्टी छोड़ने के बाद उनसे कई लोग मिलने आए, लेकिन जयराम महतो या पार्टी के किसी अन्य ने संपर्क नहीं किया है. उनसे जब पूछा की क्या और भी लोग साथ में है आपके? इसपर उन्होंने कहा कि फिलहाल अभी अकेले ही है. किसी से संपर्क नहीं किया है. साथ ही उनसे जब पूछा की क्या किसी दल में जाने की तैयारी है. इसपर भी उन्होंने बचते हुए कहा कि’अभी आगे की कोई रणनीति तय नहीं है. कुछ दिन मंथन करने के बाद ही कुछ निर्णय ले पाएंगे.
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