रांची(RANCHI): झारखंड में झामुमो और कांग्रेस के कार्यकर्ता सड़क पर उतर आए हैं. उनके सड़क पर उतरने के पीछे केन्द्रीय एजेंसियों के खिलाफ उनका विरोध और आक्रोश है. देश में ये पहली बार है जब जांच एजेंसियों के विरोध में किसी राज्य की जनता को उतारा जा रहा है. जांच एजेंसियों की विश्वसनीयता पर ऐसा प्रश्न चिन्ह आज तक नही उठा था कि लोग विरोध करने पर उतर जाए.
सीएम को समन का हो रहा विरोध
इस विरोध के पीछे की वजह ईडी द्वारा सीएम हेमंत सोरेन को समन भेजा जाना है. आज तो पार्टी कार्यकर्ताओं ने सिर्फ जुलूस और प्रदर्शन किया, मगर, उनका ऐलान है कि वो जल्द ही रेल रोको आंदोलन भी करेंगे. ऐसे आंदोलन के लिए लोगों को तैयार रहने के लिए कहा जा रहा है. जांच एजेंसियों के खिलाफ अगर इस तरह से जन आंदोलन होगा, तो देश में लोकतंत्र पर सवाल उठेगा. जांच एजेंसियां किसी भी मामले की जांच करने से डरेंगी.
पहली बार ईडी नहीं कर रही किसी से पूछताछ
ये पहली बार नही है जब ईडी या किसी जांच एजेंसियों ने किसी को पूछताछ के लिए समन भेजा है. इससे पहले भी नेताओं और बाकी लोगों को समन भेजा जाता रहा है. झारखंड में ही आईएएस आईपीएस से ईडी ने पूछताछ की. सीएम के विधायक प्रतिनिधि से पूछताछ की गई. मगर, तब तो कोई विरोध नही किया गया. तब तो कहा जा रहा था कि जांच एजेंसियां अपना काम कर रही हैं, हमारा उनसे कोई लेना देना नही. मगर, जब बात सीएम तक पहुंची. तो सभी के सुर बदल गए. सीएम खुद ईडी को चेतावनी देने लगे. मंच से जांच एजेंसियों को शर्म आने और डूब मरने तक की नसीहत दे डाली. अगर सीएम ने कोई अपराध नहीं किया है, तो उन्हें पूछताछ से दिक्कत क्या है.
जाहिर सी बात है कि अगर, ईडी की जांच में सीएम के करीबी बताए जाने वालों के यहां से सीएम का पासबूक और चेक बुक मिलता है, तो ईडी तो सवाल पूछेगी ही. इसका विरोध क्यों करना है.
एजेंसियों पर क्यों उठ रहे सवाल
सीएम और उनके कार्यकर्ताओं का विरोध जांच एजेंसियों से क्यों है, ये भी समझने की जरूरत है. देश में लगातार विपक्षी पार्टियों के नेताओं के यहां ईडी, सीबीआई और इनकम टैक्स के छापे पड़ रहे हैं. जिसके कारण लगातार केंद्र सरकार पर इन एजेंसियों का दुरुपयोग करने के आरोप लग रहे हैं. विपक्षी पार्टियों का कहना है कि ये एजेंसियां केंद्र सरकार की कठपुतली बन गई है. झारखंड में विपक्षी पार्टियों को भरोसा इसपर और बढ़ गया, जब कांग्रेस के दो विधायकों के छापा मारने गए आयकर अधिकारियों की गाड़ियों पर बीजेपी की स्टिकर मिली. हालांकि, बीजेपी का कहना है कि भाड़े पर गाड़ियां चलती हैं, हो सकता है गाड़ी चलाने वाला स्टिकर उतारना भूल गया हो, मगर, सच जो भी हो, फिर भी अधिकारियों को तो इसका ध्यान रखना ही चाहिए था. ऐसे में झामुमो और कांग्रेस जांच एजेंसियों और बीजेपी पर हमलावर है.
जन आंदोलन कर जांच एजेंसियों को काम करने से रोकना कहां तक सही
लेकिन जन आंदोलन कर जांच एजेंसियों को काम करने से रोकना कहां तक सही है. ऐसे में तो आने वाले दिनों में हर अपराधी आंदोलन की आड़ में जांच से बच जाएगा, या फिर जांच एजेंसियां जांच करने से भी डरेंगी. ऐसे में अपराधी को सजा नही हो पाएगी. अपराधी को उसके अपराध की सजा ना मिलना किसी भी संवैधानिक देश के लिए अच्छी खबर नही होती.
विधायक रामदास सोरेन ने राज्य जलाने की दी चेतावनी
देश में कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी और राहुल गांधी से जब ईडी ने पूछताछ की थी तब भी ईडी का विरोध हुआ था. लेकिन उग्र आंदोलन की चेतावनी नही दी गई थी, जैसे अभी दी जा रही है. झामुमो के विधायक रामदास सोरेन ने राज्य जलाने की बात तक कह डाली. उन्होंने भारत सरकार के नुमाइंदों को चेतावनी देते हुए कहा कि उनके मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर अगर थोड़ी भी आंच आएगी तो पूरा राज्य जल उठेगा. आग को बुझाने के लिए कोई दमकल की गाड़ी भी नहीं मिलेगी. उन्होंने कहा कि राज्य के मुख्यमंत्री को ईडी के माध्यम से धमकी ना दिया जाए. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने खुद कहा है कि अगर वे दोषी हैं तो समन नहीं बल्कि जेल भेजने का काम किया जाए. साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि अगर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को जेल होती है तो पूर्वी सिंहभूम से 10 हजार कार्यकर्ता जेल भरो आंदोलन शुरू करेंगे, जिसकी जवाबदेही केंद्र सरकार की होगी.
केंद्रीय एजेंसी के कार्य पर सवाल उठता रहा है. गैर-बीजेपी शासित राज्यो ने केंद पर एजेंसियों के दुरुपयोग का आरोप लगता रहा है. महाराष्ट्र और बंगाल सहित बिहार में विरोध मुखर रहा है. सीबीआई, ईडी और इनकम टैक्स के रेड और इसके समय को लेकर टिपण्णी होती रही है. विरोधियों के खिलाफ ईडी के दुरुपयोग का भी आरोप लगता रहा है. मुख्यमंत्री हेंमत तो इन एजेंसियों को लेकर कुछ ज्यादा ही आक्रामक दिखे. उन्होंने एजेंसी को बेशर्म तक कह डाला. दरअसल ये मौका भी IT ने ही दिया जब बेरमो में रेड करने गई टीम के गाड़ी में बीजेपी का स्टिकर मिला और विधायक समर्थको ने जमकर जब इस बाबत हंगामा किया. अब सच जो भी लेकिन ये वाक्या एजेंसी पर सवालिया निशान तो जरूर खड़ा करता है.
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