धनबाद(DHANBAD): 15 जून 2019 को धनबाद नगर निगम का विघटन हुआ था. पूरी व्यवस्था सरकारी तंत्र के हवाले हो गई थी. लेकिन 2019 से लेकर 2022 तक निगम का चुनाव नहीं हुआ. अभी चुनाव को लेकर इस सर्द मौसम में गर्माहट बढ़ ही रही थी कि आशंका व्यक्त कर दी गई कि निगम चुनाव टल सकता है. ऐसे में प्रत्याशियों का उत्साह एक बार फिर ठंडा पड़ गया है. हालांकि, चुनाव कराने की सरकारी तैयारी तेज है. कई उम्मीदवारों ने तो जगह-जगह चुनाव कार्यालय खोलने की भी घोषणा कर दी थी. इसी क्रम में गुरुवार को समाजसेवी विजय झा की पत्नी डॉ शिवानी झा का चुनाव कार्यालय आज धनबाद के सिटी सेंटर में खुला. 10 दिन पहले तक लोग यही मानकर चल रहे थे कि चुनाव में कोई आरक्षण रोस्टर लागू नहीं होगा और ना ही चुनाव दलीय आधार पर होगा. इसको लेकर चुनाव की तैयारियां तेज हो गई थी. कुछ उम्मीदवार तो पिछले कई महीनों से चुनाव प्रचार में लगे हुए हैं.
निगम के चुनाव के रंग हज़ार
इस दौरान वे घर का आटा भी गीला कर रहे थे, लेकिन अचानक सरकार ने धनबाद नगर निगम चुनाव को महिला के लिए आरक्षित कर दिया. उसके बाद तो पुरुष उम्मीदवार चुनाव लड़ने की राह ढूंढने में लग गए. सबों ने कोई न कोई महिला उम्मीदवार ढूंढा. सीरियस उम्मीदवार भी अपनी पत्नियों को लड़ाने की कोशिश करने लगे. इसी क्रम में धनबाद के मजबूत घराने सिंह मैंशन में भी दो उम्मीदवारों के खड़े होने की सूचना आई. आगे क्या होता है, यह तो देखने वाली बात होगी. लेकिन चुनाव टलने की संभावना से उम्मीदवारों में मायूसी छा गई है. महिला उम्मीदवार के लिए आरक्षित होने के बाद तो चुनाव लड़ने वाले महिला कैंडिडेट का चयन कर आगे बढ़ गए थे. बैठक और प्रचार का दौर शुरू हो गया था. धनबाद के सांसद पशुपतिनाथ सिंह के यहां समर्थन पाने के लिए भीड़ जुटने लगी थी. बुधवार को चुनाव टलने की संभावना के बीच भी कई उम्मीदवारों ने कहा कि प्रचार का क्रम जारी हो गया है, इसलिए यह सिलसिला जारी रहेगा. कुछ ने तो यह भी कहा कि बढ़िया हुआ, नए उम्मीदवार थे, हर एक वोटर के घर जाने का मौका मिलेगा.
ढाई साल से धनबाद नगर निगम का चुनाव नहीं हुआ
आपको बता दें कि लगभग ढाई साल से धनबाद नगर निगम का चुनाव नहीं हुआ है. 2006 में धनबाद में नगर निगम का गठन हुआ था. उसके बाद पहला चुनाव 2010 में हुआ. उस वक्त यह सीट महिला के लिए आरक्षित थी और रामधीर सिंह की पत्नी इंदु देवी पहली बार धनबाद नगर निगम की मेयर बनी. उसके बाद यह चुनाव 2015 में हुआ. उस समय यह सीट ओबीसी के लिए आरक्षित थी. उस समय भाजपा से जुड़े शेखर अग्रवाल धनबाद के मेयर बने. लेकिन, 15 जून 2019 को कार्यकाल खत्म होने के बाद नगर निगम का विघटन कर दिया गया और उसके बाद चुनाव नहीं हुआ, अभी थोड़ा माहौल बना ही था कि फिर चुनाव टालने की बात आ गई.
रिपोर्ट: शांभवी सिंह, धनबाद
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