रांची(RANCHI): झारखंड में नई सरकार बन गई है. विधानसभा के फ्लोर टेस्ट में चंपई सोरेन सरकार ने बहुमत का आकड़ा पार कर लिया लेकिन जब सदन की कार्यवाही शुरू हुई तो राज्यपाल अभिभाषण पढ़ रहे थे. वह चार साल के पिछली सरकार के कार्यकाल की उपलब्धियों को गिना रहे थे. उस वक्त सत्ता पक्ष के विधायक सवाल पूछ रहे थे की आखिर जब इतना अच्छा काम किया तो फिर उनके नेता की गिरफ़्तारी क्यों की गई.सदन में जबतक राज्यपाल अभिभाषण देते रहे तब तक सदन में एक ही सवाल गूंज रहा था कि फिर हेमंत की गिरफ़्तारी क्यों हुई है.
दरअसल हेमंत सोरेन की गिरफ़्तारी के बाद सदन का विशेष सत्र बुलाया गया. इस सत्र में फ्लोर टेस्ट हुआ जिसमें 47 विधायक सत्ता पक्ष के पास मौजूद दिखे.खुद हेमंत सोरेन ईडी की कस्टडी में विधानसभा के फ्लोर टेस्ट में शामिल होने के लिए विधानसभा पहुंचे थे.राज्य की सत्ता में चार साल तक हेमंत सोरेन काबिज रहे लेकिन रांची मे हुए जमीन घोटाले के सिलसिले मे उनका नाम आया फिर ED के द्वारा उन्हे गिरफतार कर लिया गया . हालात ऐसे बने कि मुख्यमंत्री पद के लिए एक ने नए नेता को चुन लिया गया और सरकार बच गई. कुल मिला कर सिर्फ चेहरा बदला विधानसभा भंग नहीं हुआ था.
यही कारण है कि पिछले चार साल मे इस विधानसभा से कई प्रस्ताव पास किए जिसमें की कल्याणकारी योजनाएं थी उपलबधिया थी जो विधानसभा के रिकार्ड मे दर्ज हुआ और परिपाटी के मुताबिक जब भी सत्र की शुरुआत होती है तो संवेधानिक प्रमुख के तौर पर सरकार के उपलब्धियों को राज्यपाल बताते है. जिसमें सरकार की सभी योजनाओं के बारे में बताया जाता है. राज्यपाल ने अपने विवेक से इस अभिभाषण को पूरा पढ़ा. जिसमें पिछली सरकार की उपलब्धियों का बखान लिखा हुआ था.
इस दौरान जब पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन भी अपने सम्बोधन में केन्द्रीय एजेंसी और राजभवन पर सवाल खड़ा किया है. हेमंत सोरेन ने गिरफ़्तारी पर कहा कि उनकी गिरफ़्तारी राजभवन से की गई. इस गिरफ़्तारी के पीछे अंदेशा जताया कि राजभवन की भी भूमिका अहम रही है.आगे अपने सम्बोधन में कहा कि आदिवासी होने की सजा मिली है. लेकिन वह झुकेंगे नहीं. हेमंत ने इस दौरान भाजपा पर भी निशाना साधा है. साफ कहा कि जब वोटर ने भाजपा को नकार दिया तो पिछले दरवाजे से सत्ता में आना चाहते है. भाजपा लोकतंत्र के लिए खतरनाक है.
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