पतरातू(PATRATU): पतरातू के युवा आजकल शाम होते ही ढूंढने लगते हैं कोई सुनसान जगह.शाम होते ही ये बच्चे टटोलने लगते हैं अपनी जेब. न तो इन्हें ठंड सताती है न भूख इन बच्चों को बस एक ही चीज का होता है इंतजार. की कहीं से पैसे मिल जाये और जल्दी शाम घिर जाए ताकि ये वो करें जो इन्हें नहीं करना चाहिये. जी हां पतरातू में तेजी से पैर फैला चुका है नशा.और ये नशा भी ऐसा वैसा नहीं बल्कि प्रतिबंधित गांजे का नशा.
शाम है धुंआ धुंआ, जानिए इस धुएं वाली शाम का सच
शाम होते ही एक ओर जहां सिमटने लगी है सूर्य की किरण. वहीं वातावरण में फैलने लगता है धुंआ. ये बेहद चिंता का विषय है कि देश का भविष्य पतरातू में अपने आप को धुंवे में जला रहा और इस बात की न तो प्रशासन को चिंता है न ही ख़बर. बता दें कि पतरातू प्रखंड के विभिन्न क्षेत्रों सहित आवासीय कॉलोनी पीटीपीएस एवं अन्य स्थानों में आज की युवा पीढ़ी बुरी तरह नशे की गिरफ्त में नजर आ रही है. उम्र में काफी छोटे बच्चे नशा करने के विभिन्न तरीकों को अपनाते हुए बुरी तरह इसकी चपेट में आ रहे हैं.
जीवन रक्षक दवाइयों से नशा! जानिए दवा को ड्रग्स बनाते बच्चों का सच
कहीं गांजे की लत तो कहीं दवाइयों की मार्फत ये बच्चे नशे के कई तरीके इजाद करके इसमें संलिप्त हो रहे हैं. इसी कड़ी में कटिया पंचायत स्थित पहाड़ी पर पानी की टंकी के समीप खंडहर में तब्दील हुए एक क्वार्टर को इन लड़कों ने नशाखोरी का एक अड्डा बना रखा है. क्योंकि लोगों का वहाँ आवागमन नहीं होता और यह सुनसान भी है. उस स्थान पर जाने के बाद साफ तौर पर दारू की बोतल दवाइयों की शीशियाँ तथा अन्य मादक पदार्थों के रैपर देखे जा सकते हैं. कई युवा पीढ़ी वहाँ बैठकर गांजे की धुँए में पूरे क्षेत्र की गरिमा और अपने भविष्य को उड़ाते नजर आ जाएंगे. बता दे डेण्ड्राइड आइयोडेक्स और कई खाने वाली दवाइयों का सेवन करके ये बच्चे मदमस्त हो जाते हैं. ऐसा लगता है जैसे इनकी दुनिया ही अलग है. इनकी दुनिया मे इन्हें किसी से कोई मतलब नही इनका यदि कोई हमदर्द है तो वो है ड्रग्स.
नशे के लिए देते हैं बड़ी घटना को अंजाम, जानिए इन नशाखोरों की असलियत
यदि आलम ऐसा ही रहा तो एक स्वस्थ और मजबूत समाज का निर्माण कैसे संभव हो पाएगा. नशे की लत से मजबूर ये युवा पीढ़ी जब इनके पास पैसे की कमी हो जाती है तो ऐसे ही लड़के चोरी जैसी घटनाओं को अंजाम देने से बिल्कुल नहीं कतराते क्योंकि किसी भी कीमत पर इन्हें अपनी नशे की लत को पूरा करना रहता है. ऐसे में 50 100 रुपये के लिए भी ये नशाखोर बड़ी घटना को अंजाम देने से नही चूकते. एक स्वस्थ और मजबूत पीढ़ी के निर्माण का जो सपना पतरातू क्षेत्र के लोग देख रहे हैं वैसे में इस तरह का माहौल उनके इरादों पर पानी फेरता नजर आता है.
कैसे मिले नशाखोरी से निजात जानिए क्या कहते हैं डॉक्टर
इसी सिलसिले में क्षेत्र के जाने-माने चिकित्सक डॉक्टर अरुण ने समाजसेवियों सहित जनप्रतिनिधियों से आग्रह किया है कि इन बच्चों के उज्जवल भविष्य के लिए इन्हें मुख्यधारा में जोड़कर खेलकूद के प्रति प्रेरित करने की आवश्यकता है. आज की युवा पीढ़ी जितना अधिक खेल से जुड़ेगी नशाखोरी से यह दूर रह पाएंगे. यह पतरातू क्षेत्र का दुर्भाग्य ही है कि जो पतरातू एक समय में भारत के विभिन्न राज्यों में फुटबॉल सहित अन्य खेलों में अपनी पहचान बना चुकी थी धीरे-धीरे वह विलुप्त होती जा रही है. क्योंकि यहाँ खेल का कोई मैदान उपलब्ध नहीं है तो आज की युवा पीढ़ी इससे बिल्कुल विमुख होती जा रही है.
क्या समाज मुख्यधारा से जोड़ सकेगी इन लाचार नशेड़ियों को, जानिए
ये एक दस्तक है आपके भी दरवाजे पर इससे डरना नहीं सावधान रहना है . अपने बच्चों का ध्यान रखें . यह एक गहरा संकट है इसके बारे में समाज के हर व्यक्ति को सोचने की आवश्यकता है कि कैसे इस युवा पीढ़ी को खेल कूद और पढ़ाई के प्रति प्रेरित कर नशा से दूर कर सकें. बड़ी-बड़ी बातें करना, खेल और खिलाड़ी को बढ़ावा देने के दावे करना तो आसान है मगर उन्हें जमीनी स्तर पर लाकर उस पर काम करना सभी लोगों के लिए मानो एक बहुत बड़ी चुनौती साबित हो रही है. अब देखना है कि समाज के कौन से ऐसे कर्मठ व्यक्ति सामने आकर इस भटकती युवा पीढ़ी को मुख्यधारा से जोड़ने में अपनी अहम भूमिका निभा पाते हैं.
रिपोर्ट:जयंत कुमार रामगढ़
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