रांची (RANCHI): विश्व भर में असाध्य रोगों की श्रेणी में कैंसर के बाद एड्स का नाम जाना जाता है. पिछले कुछ सालों की रिपोर्ट को देखें तो कैंसर की अपेक्षा एड्स के संक्रमण में कई गुणा बढ़ोतरी गई गई. अकेले भारत में एड्स के मामले लगातार बढ़ते ही जा रहे. ये स्वास्थ्य मंत्रालय की एक प्रमुख चिंता का विषय है. इसकी रोकथाम और लोगों को जागरूक करने के लिए हर साल एड्स दिवस पर WHO के द्वारा जारी की जाती है एक थीम जिसका उद्देश्य होता है लोगों में एड्स के प्रति जागरूकता फैलाना. बता दें एचआईवी/ एड्स एक ऐसी जानलेवा बीमारी है, जिसका अब तक कोई इलाज नहीं खोजा जा सका है. यदि कोई एचआईवी से संक्रमित हो जाता है तो वह पीड़ित जीवनभर के लिए इस वायरस से ग्रसित हो जाता है. बावजूद इसके डॉक्टरों, विशेषज्ञों ने एचआईवी से बचने के कुछ जरूरी उपाय बताएं हैं. साथ ही एड्स रोगी के लिए कुछ दवाएं भी हैं, जिससे रोग की जटिलता को कम किया जा सकता है. परंतु सबसे बड़ी चुनौती है समाज में एड्स को लेकर फैली भ्रांतियां और गलत जानकारियां. जिससे कोई एड्स पीड़ित व्यक्ति अपनी बीमारी छुपाने को मजबूर हो जाता है और जानकारी के अभाव में समाज में ये रोग फैलता ही जाता है. बता दें एड्स को लेकर कई सारे मिथक और गलत जानकारियां भी व्याप्त हैं, जिसे दूर करने और एचआईवी के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए हर साल दुनियाभर में विश्व एड्स दिवस मनाया जाता है. इस दौरान लोगों को जानकारी दी जाती है कि एड्स को लेकर बहुत ज्यादा घबराने की जरूरत नहीं है. इस बीमारी में औसत आयु भले ही कम हो जाती है लेकिन पीड़ित सामान्य जिंदगी जी सकता है. एड्स के प्रति जागरूकता और बचाव के तरीके की जानकारी होने के साथ ही यह भी पता होना चाहिए कि एचआईवी का इतिहास क्या है. एचआईवी/ एड्स की उत्पत्ति कहां से हुई. एड्स दिवस मनाने की शुरुआत कब, क्यों और किसने की? आइए जानते हैं विश्व एड्स दिवस का इतिहास, महत्व और इस साल की थीम.
क्या है एड्स का इतिहास कब आया पहला मामला
एचआईवी मनुष्यों मे नहीं पाया जाता था ये वायरस जानवरों से इंसानों में आई. प्राप्त जानकारी के मुताबिक, सर्वप्रथम 19 वीं सदी में अफ्रीका में पाए जाने वाले खास प्रजाति के बंदरों में एड्स का वायरस पाया गया. माना जाता है बंदरों से ही इस बीमारी का प्रसार इंसानों तक हुआ. बता दें अफ्रीका में बंदर खाए जाते थे. ऐसे में माना गया कि इंसानों द्वारा बंदर के मांस खाए जाने के कारण एचआईवी वायरस इंसानों तक पहुंचा. प्राप्त जानकारी के मुताबिक, 1920 में अफ्रीका के कांगो में एचआईवी संक्रमण का प्रसार हुआ. परंतु एचआईवी का पहला मामला 1959 में एक आदमी के खून के नमूनों में पाया गया. इस संक्रमित व्यक्ति को ही एचआईवी का सबसे पहला मरीज माना जाता है. बता दें कि कांगो की राजधानी किंशासा यौन ट्रेड का केंद्र था. यही एक महत्वपूर्ण कारण था जिसके कारण दुनिया के कई देशों तक यौन संबंधों के माध्यम से एचआईवी का प्रसार हुआ.
एड्स का पुराना नाम
पहली बार एड्स की पूर्ण पहचान 1981 में हुई. लॉस एंजेलिस के डॉक्टर ने पांच मरीजों में अलग अलग तरह के निमोनिया को पहचाना. इन मरीजों की रोग प्रतिरोधक क्षमता अचानक कमजोर पड़ गई थी. हालांकि पांचों मरीज समलैंगिक थे. इसलिए चिकित्सकों को लगा कि यह बीमारी केवल समलैंगिकों को ही होती है. इसलिए इस बीमारी को 'गे रिलेटेड इम्यून डिफिशिएंसी' (ग्रिड) नाम दिया गया. लेकिन बाद में दूसरे लोगों में भी यह वायरस पाया गया, तब जाकर 1982 में अमेरिका के सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन ने इस बीमारी को एड्स नाम दिया.
भारत में एड्स के मामले
1986 में भारत में एचआईवी का पहला मामला सामने आया. इसके बाद बहुत तेजी से यह पूरे देश में फैल गया एवं जल्द-ही इसके 135 और मामले सामने आये जिसमें 14 एड्स 2 के मामले थे. गौरतलब है की यहाँ एचआईवी/एड्स के ज्यादातर मामले यौनकर्मियों में पाए गए. इस दिशा में सरकार ने पहला कदम यह उठाया कि तुरंत ही विभिन्न जगहों पर जाँच केन्द्रों की स्थापना की गई. इन केन्द्रों का कार्य जाँच करने के साथ-साथ ब्लड बैंकों की क्रियाविधियों का संचालन करना था. बाद में उसी वर्ष देश में एड्स संबंधी आँकड़ों के विश्लेषण, रक्त जाँच संबंधी विवरणों एवं स्वास्थ्य शिक्षा कार्यक्रमों में समन्वय के उद्देश्य से राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण कार्यक्रम की शुरुआत की गई.
एड्स नियंत्रण संगठन की स्थापना
1990 की शुरुआत में एचआईवी के मामलों में अचानक वृद्धि दर्ज की गई, जिसके बाद भारत सरकार ने राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन की स्थापना की. इस संगठन का उद्देश्य देश में एचआईवी एवं एड्स के रोकथाम एवं नियंत्रण संबंधी नीतियाँ तैयार करना, उसका कार्यान्वयन एवं परिवीक्षण करना है. राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण कार्यक्रम के क्रियान्वयन संबंधी अधिकार भी इसी संगठन को प्राप्त हैं. बता दें राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण कार्यक्रम के अंतर्गत कार्यक्रम प्रबंधन हेतु प्रशासनिक एवं तकनीकी आधार तैयार किये गए एवं राज्यों व सात केंद्र-शासित प्रदेशों में एड्स नियंत्रण संगठन की स्थापना की गई.
एड्स जानकारी और बचाव
इंसानों में एचआईवी कई तरीकों से फैल सकता है. पूरे विश्व में लगभग 3.53 करोड़ लोग एचआईवी से प्रभावित हैं. आज एचआईवी दुनिया की प्रमुख संक्रामक एवं जानलेवा बीमारी है. एचाईवी-एड्स के बारे में जानकारी प्राप्त करने के लिए समय-समय पर अपने रक्त की जांच करवाना आवश्यक है. एचआईवी (ह्यूमन इम्यूनो डेफिशियेंसी वायरस) शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली की कोशिकाओं को संक्रमित कर देता है. इसके इलाज के लिए एंटीरेट्रोवाइरल थेरेपी (एआरटी) कारगर है. ये थेरेपी शरीर में एचआईवी वायरस को फैलने से रोकता है. वर्ष 2012 के अंत तक निम्न एवं मध्यम आय वाले देशों के लगभग 1 करोड़ एचआईवी पॉजिटिव लोगों को एंटीरेट्रोवाइरल थेरेपी (एआरटी) उपलब्ध करवाई जा चुकी है. विश्व के लगभग 33.4 लाख बच्चे एचआईवी से प्रभावित हैं. मां से बच्चे में एचआईवी के संक्रमण को रोका जा सकता है. एचआईवी प्रभावित लोगों में सामान्य लोगों की अपेक्षा क्षय रोग (टी.बी) होने का खतरा अधिक होता है. वर्ष 2020 के अंत में अनुमानित 37.7 मिलियन लोग एचआईवी से ग्रसित थे, जिनमें से दो-तिहाई (25.4 मिलियन) अफ्रीकी क्षेत्र में निवास करते हैं. वर्ष 2020 में एचआईवी तथा उससे संबंधित कारणों की वजह से 6,80,000 लोगों की मृत्यु हो गई तथा 1.5 मिलियन से अधिक लोग संक्रमित हुए.
कैसे फैलता है एड्स
एड्स मुख्यतः पाँच कारणों से इंसानों से इंसानों के बीच फैलता है
1 असुरक्षित यौन सम्बन्ध बनाना
2 संक्रमित सुई साझा करना
3 संक्रमित रक्त चढ़ाने से
4 संक्रमित माँ से बच्चे में
5 किसी एड्स मरीज के इस्तेमाल किए रेजर ब्लेड से शेविंग करने पर भी एड्स की संभावना रहती है. खासकर सैलून में.
शरीर को कैसे प्रभावित करता है एचआईवी
ह्यूमन इम्यूनोडेफिशिएंसी वायरस (HIV) का वायरस शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली में सीडी4 (CD4) नामक श्वेत रक्त कोशिका (टी-सेल्स) पर हमला करता है. ये वे कोशिकाएँ होती हैं जो शरीर की अन्य कोशिकाओं में विसंगतियों और संक्रमण का पता लगाती हैं. शरीर में प्रवेश करने के बाद HIV की संख्या बढ़ती जाती है और कुछ ही समय में वह CD4 कोशिकाओं को नष्ट कर देता है एवं मानव प्रतिरक्षा प्रणाली को गंभीर रूप से नुकसान पहुँचाता है. विदित हो कि एक बार जब यह वायरस शरीर में प्रवेश कर जाता है, तो इसे पूर्णतः समाप्त करना काफी मुश्किल है. HIV से संक्रमित व्यक्ति की CD4 कोशिकाओं में काफी कमी आ जाती है. ज्ञातव्य है कि एक स्वस्थ व्यक्ति के शरीर में इन कोशिकाओं की संख्या 500-1600 के बीच होती है, परंतु HIV से संक्रमित लोगों में CD4 कोशिकाओं की संख्या 200 से भी नीचे जा सकती है.
विश्व एड्स दिवस 2022 की थीम
विश्व एड्स दिवस अंतर्राष्ट्रीय समुदायों तथा सरकारों को याद दिलाता है कि एचआईवी का अभी पूरी तरह से उन्मूलन किया जाना बाकी है. इस दिशा में अधिक धन जुटाने, जागरूकता बढ़ाने, पूर्वाग्रह को समाप्त करने और साथ ही लोगों को इस बारे में शिक्षित किया जाना महत्त्वपूर्ण है. यह दिवस दुनिया भर में एचआईवी ग्रसित लाखों लोगों के साथ एकजुटता दिखाने का अवसर प्रदान करता है. हर साल एक तय थीम पर विश्व एड्स दिवस मनाया जाता है. विश्व एड्स दिवस 2022 की थीम ' Equalize' है. इसका अर्थ है 'समानता', यानी समाज में फैली हुई असमानताओं को दूर करके एड्स को जड़ से खत्म करने के लिए कदम बढ़ाने पर जोर दिया जाएगा.
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