टूट गया 205 परिवारों का आशियाना! अब खुले आसमान में बीत रही रात, जब तक आग जलती है, लगती है नींद, पल-पल पहाड़ जैसा बीत रहा

टूट गया 205 परिवारों का आशियाना! अब खुले आसमान में बीत रही रात, जब तक आग जलती है, लगती है नींद, पल-पल पहाड़ जैसा बीत रहा