रांची(RANCHI): झारखंड में हाड़ कंपाने वाली ठंड पड़ रही है. शाम होते ही सड़कों पर सन्नाटा पसरा दिख रहा है. लेकिन कड़ाके की ठंड में रेलवे ने अतिक्रमण मुक्त अभियान चलाया और 205 परिवारों का आशियाना पल भर में जमींदोज हो गया. घर टूटने के बाद अब खुले आसमान के नीचे सभी की रात बीत रही है. आग जला कर किसी तरह से ठंड से बचने की कोशिश की जा रही है. इस दौरान जिनके घर टूटे हैं उनके दर्द को जानने के लिए THE NEWS POST की टीम रांची के बिरसा चौक के पास अतिक्रमण स्थल पर पहुंची और उनका हाल जानने की कोशिश की.
मलबे में दब कर खत्म हो गई पढ़ाई
इस दौरान मलबे के बीच कई टेंट दिखाई दिए. घर टूटने के बाद अब टेंट में ही परिवार के लोग रात बीता रहे हैं. टेंट के पास कुछ लकड़ी इकट्ठा कर रखी हुई थी और एक जगह आग जला कर कुछ लोग बैठे दिखे. समय करीब 12 बज रहा था. जब पूरी रांची सो रही थी उस वक्त ये तमाम परिवार के लोग खुले आसमान में रात बिताने को मजबूर थे. टेंट में 10वीं कक्षा में पढ़ाई करने वाला राहुल दिखाई दिया. राहुल से जब पूछा कि रात कैसे बीत रही है तब इतना सुनते ही उसके आंखों से आंसू छलक उठे. नम आंखों से राहुल ने बताया कि खुला आसमान और टेंट ही सहारा बचा है. सब कुछ खत्म हो गया. घर पर बुलडोजर चला तो सामान भी सब दब गया है. उसकी किताब-कॉपी भी मलबे में दब कर खत्म हो गई. घर टूटने की वजह से अब स्कूल भी नहीं जा रहे है.
आधा सामान बाहर निकला तो आधा जमीन में ही दब कर खत्म
उसके बगल में ही टेंट के बाहर लकड़ी जला कर कुछ लोग बैठे दिखे. इसमें राहुल के पिता भी थे. उन्होंने बताया कि घर एका-एक तोड़ दिया गया है. पहले बताया गया था की 80 फुट ही तोड़ा जाएगा, लेकिन अब पूरे घर पर बुलडोजर चला दिया गया है. एक दिन पहले नोटिस भेजा और सुबह होते ही बुलडोजर चलने लगा. सब कुछ इतनी जल्दबाजी में हुआ की कुछ समझ नहीं आया. आधा सामान बाहर निकला तो आधा जमीन में ही दब कर खत्म हो गया. उन्होंने कहा कि 70 साल से इस जगह पर रह रहे थे. अगर तोड़ना ही था तो थोड़ी मोहलत दे देते तो ठीक होता. इसके बाद वह कुछ भी बोलने की हालत में नहीं थे.
किराये पर भी घर लेने के पैसे नहीं
कुछ और आगे बढ़े तो सड़क के किनारे कई और टेंट लगे दिखाई दिए. इस टेंट में महिलाएं और बच्चे सो रहे थे. टेंट के बाहर आग जल रही थी, इस आग के पास बुजुर्ग महिलाएं बैठी दिखीं. इसमें एक फुलिया देवी थीं, जिनके पास पहुंचे तो देखा कि वह ठंड से कांप रही थीं. इनकी उम्र करीब 60 से अधिक है. जब इनसे पूछा कि रात में बाहर आग के पास क्यों बैठी हैं. इस पर जवाब दिया कि अब कोई घर नहीं बचा है. एका-एक घर को तोड़ दिया गया. कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं किया गया. अब न पैसा है की कहीं किराये पर भी घर ले पाएंगे.
बता दें कि हटिया रेलवे स्टेशन के समीप बिरसा चौक के पास करीब 50 साल से 205 परिवार अपना घर बना कर रह रहे थे. लेकिन जिस जमीन पर घर बनाया था वह रेवले की थी. जिसके बाद अब आखिर में रेलवे ने बुलडोजर चला कर सभी के घर को तोड़ दिया. जिसके बाद सभी घर के लोग टेंट लगा कर रहने को मज़बूर हैं.
रिपोर्ट: समीर हुसैन
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