धनबाद(DHANBAD): कोयलांचल में जमीन के नीचे आग और पानी दोनों है. जमीं के नीचे से पानी निकलता जरूर है लेकिन बेकार अधिक हो जाता है. जमीन के ऊपर रहने वाले लोग केवल आग से ही परेशान नहीं है, पानी संकट भी झेल रहे हैं, जबकि जमीन के नीचे पानी का बड़ा भंडार है. यह अलग बात है कि इससे पिट वाटर कहां जाता है और यह सीधे पीने के उपयोग में नहीं लाया जा सकता है. एक आंकड़े के मुताबिक बीसीसीएल की कोलियारियो से 12 00 लाख किलोलीटर पिट वाटर निकलता है. बहुत हद तक इसका उपयोग कर लिया जाता है लेकिन अभी भी, अगर किसी क्षेत्र के भ्रमण पर आप जाएंगे तो दिखता है कि बेवजह पानी बहता रहता है. पिट वाटर के शोधन की व्यवस्था हो जाए तो बेहिसाब पानी कोयलांचल के जमीन के नीचे मौजूद है.
पिट वाटर को शोधित कर पिने लायक बनाया जा सकता है
इसे शोधित कर पीने योग्य बनाया जा सकता है. इधर, पता चला है कि बीसीसीएल ने आईआईटी आईएसएल, सिम्फ़र समेत कुछ और संस्थानों को कोयला खदान में उपलब्ध पानी का सर्वे करने का ऑफर दिया है. 3 महीने के भीतर सर्वे रिपोर्ट कोयला मंत्रालय को सौपी जानी है. सूत्रों के अनुसार स्टडी के लिए जो ऑफर दिया गया है, उसमें फिलहाल कितना पानी उपलब्ध है, उसकी गुणवत्ता क्या है और कितना पानी लोगों को सप्लाई किया जा सकता है. इस पर जानकारी मांगी गई है. जानकार बताते हैं कि नए ढंग से स्टडी कराने के भी वजह है. कारण है कि पहले बीसीसीएल में भूमिगत खदान अधिक हुआ करती थी और इन भूमिगत खदानों से कोयला निकालने के लिए पानी को पंपिंग कर बाहर किया जाता था. अब लगातार भूमिगत खदानों की संख्या घट रही है, फिलहाल 90% से अधिक कोयला ओपन कास्ट से निकाला जा रहा है.
भूमिगत खदान तो हो जाएंगी इतिहास
भूमिगत खदानों के मुकाबले ओपन कास्ट माइंस में पानी कम निकलता है. संभव है इसलिए पानी की उपलब्धता सर्वे करने का निर्णय किया गया है. कोयला क्षेत्र होने के कारण कोयलांचल में पानी के नेचुरल रिसोर्स की कमी है. एक तो दामोदर नदी से पानी की सप्लाई होती है, दूसरा मैथन से. गर्मी का मौसम जब भी आता है तो पानी के लिए हाय तौबा मचता है. बड़ी-बड़ी बातें होती हैं, योजनाएं तैयार की जाती है लेकिन गर्मी के बाद सब कुछ फाइलों में बांधकर रख दिया जाता है. नतीजा है कि कोयलांचल पानी के लिए गर्मी की ही बात कौन कहे, हर सीजन में परेशानी झेलता है.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो
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