धनबाद(DHANBAD) : क्या आप जानते है कि अंग्रेजों के समय से धनबाद से सटे रानीगंज कोयला क्षेत्र में खनन का काम चल रहा है? क्या आप जानते हैं कि 1774 में ईस्ट इंडिया कंपनी ने एक अंग्रेजी कंपनी को रानीगंज कोलफील्ड में खनन की अनुमति दी थी? क्या आप जानते हैं कि 18 97 में बलूचिस्तान (अब पाकिस्तान) में खान हादसे के बाद खान निरीक्षण की जरूरत महसूस की गई. इसके बाद लगातार दो-तीन बड़े खान हादसों के बाद कोयला खदानों में सुरक्षा कानून को कड़ाई से लागू करने की जरूरत महसूस की गई. उसे लागू करने की पहल शुरू हुई. वैसे, भारत में कोयला खनन का इतिहास 1774 का है. उस समय अंग्रेजी कंपनियां कोयला खनन करती थी. यह तो हुई पुरानी बाते.
डीजीएमएस को लेकर धनबाद की है अलग पहचान
फिलहाल के खान सुरक्षा महानिदेशालय (डीजीएमएस) को लेकर धनबाद की अलग पहचान है. धनबाद में स्थापित डीजीएमएस का भवन सबसे पुरानी विरासत में से एक है. इस भवन में 100 साल से भी अधिक पुराने रिकॉर्ड रूम पर विशेष ध्यान केंद्रित किया गया है. वैसे, 1902 में खान निरीक्षण ब्यूरो की स्थापना की गई थी और इसका मुख्यालय कोलकाता में रखा गया था. 1904 में इसका नाम खान विभाग के रूप में किया गया. 1908 में धनबाद में इसकी स्थापना हुई. आज डीजीएम एस अपना 123 वां स्थापना दिवस मना रहा है. इसका मुख्य काम खनन के दौरान सुरक्षा मानकों का अनुपालन करना है. बता दें कि ब्रिटिश शासन काल में ही देश के कई हिस्सों में कोयला और दूसरे खनिजों के खनन का काम शुरू हो गया था. इस दौरान कई बड़े खान हादसे हुए.
धनबाद में कैसे आया डीजीएमएस, पढ़िए पूरा डिटेल्स
इसके बाद खनन सुरक्षा कानून को कड़ाई से लागू करने के लिए खान सुरक्षा महानिदेशालय को अस्तित्व में लाया गया. इसका मुख्यालय धनबाद में है. यहां खान सुरक्षा महानिदेशक का दफ्तर है. इसी परिसर में डीजीएमएस का सेंट्रल जोन भी है. डीजीएमएस ईस्टर्न सेंट्रल जोन का मुख्यालय पश्चिम बंगाल के सीतारामपुर, साउथ ईस्टर्न जोन का रांची, नॉर्थ जोन का गाजियाबाद, नॉर्थ वेस्ट जोन का उदयपुर, साउथ सेंट्रल जोन का हैदराबाद, साउथ जोन का बेंगलुरु और वेस्टर्न जोन का मुख्यालय नागपुर में है.
रिपोर्ट-धनबाद ब्यूरो
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