देवघर: कलश स्थापना के साथ दस दिनों तक चलने वाली दुर्गा पूजा शुरू हो गयी है. मां के दर्शन के लिए भक्तों की भीड़ पूजा मंडप में जुटने लगी है. वैसे तो कलश स्थापना के साथ ही शारदीय नवरात्र का शुभारंभ हो जाता है और सप्तमी पूजा से मां की प्रतिमा की प्राण-प्रतिष्ठा कर पूजा की जाती है. लेकिन देवघर के बालानन्द ब्रहमचारी आश्रम में मां की पूजा की एक अनोखी परंपरा सदियों से चली आ रही है. दरअसल यहां पहली पूजा से ही मां की मूर्ति सामने रख कर पूरे वैदिक रीती-रिवाज के साथ पुरोहितों द्वारा एक साथ दुर्गा सप्तसती का पाठ किया जाता है.
कन्या और गौ पूजन होती है प्रतिदिन
इस आश्रम में नवरात्र की पूजा शुरू होने से पहले विशेष धार्मिक अनुष्ठान कर गौ पूजन किया जाता है. इसके बाद पुरोहितों को वस्त्र दान किया जाता है और फिर धर्मशास्त्रों के अनुसार कुंवारी कन्या की पूजा की जाती है. यहां 9 दिन के अनुसार कन्या पूजन किया जाता है. यानी प्रथम पूजा पर एक कन्या, द्वितीय पूजा पर दो कन्या और इसी तरह से प्रतिदिन तिथि के अनुसार कन्याओं की पूजा कर महानवमी तक 45 कुंवारी कन्या की पूजा पूरी श्रद्धा के साथ की जाती है.
साथ ही पहली पूजा पर कुंवारी कन्या द्वारा ही गाजे-बाजे के साथ हाथ में कलश ले कर मां की बेदी की परिक्रमा की जाती है और फिर कलश स्थापित की जाती है. नवरात्र में पहली पूजा से ही मां की प्रतिमा स्थापित कर पूजा करने की यह अनूठी परंपरा सदियों से चली आ रही है. इस अनोखे विधि-विधान से होने वाली नवरात्र की पहली पूजा में शामिल होने देश के कई राज्यों से आश्रम के शिष्य यहां पहुंचते हैं.
रिपोर्ट: ऋतुराज/देवघर
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