रांची : मुख्यमंत्री ने कहा- राज्य का वैधानिक अधिकारझारखंड सरकार ने केंद्र सरकार से 1.36 लाख करोड़ रुपये के कोयला बकाया की वसूली के लिए कानूनी कार्रवाई शुरू कर दी है। इसके तहत, राज्य सरकार ने राजस्व, निबंधन और भूमि सुधार विभाग के सचिव को इस मामले में कानूनी प्रक्रिया शुरू करने के लिए अधिकृत किया है।
यह निर्णय सरकार की पहली कैबिनेट बैठक में लिया गया था। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा है कि यह बकाया राशि झारखंड का वैधानिक अधिकार है और इसके अभाव में राज्य के विकास कार्यों पर गंभीर असर पड़ रहा है।
वसूली के लिए नॉडल अधिकारी नियुक्त
राज्य सरकार द्वारा जारी अधिसूचना में कहा गया है, "राजस्व, निबंधन और भूमि सुधार विभाग के सचिव को नोडल अधिकारी नियुक्त किया गया है। उन्हें केंद्र सरकार से 1.36 लाख करोड़ रुपये के कोयला बकाया की वसूली के लिए तत्काल कानूनी कार्रवाई शुरू करने का निर्देश दिया गया है।"
इसके साथ ही, अधिसूचना में कोल इंडिया लिमिटेड और उसकी सहायक कंपनियों से वाश्ड कोयले की रॉयल्टी, कॉमन कॉज बकाया आदि की अदायगी में आने वाली अड़चनों को दूर करने के लिए महाधिवक्ता से परामर्श लेने की बात कही गई है।
मुख्यमंत्री की केंद्र से अपील
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने केंद्र सरकार पर झारखंड के साथ न्याय न करने का आरोप लगाया। उन्होंने 2 नवंबर को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा था, "प्रधानमंत्री और गृहमंत्री झारखंड आ रहे हैं। मैं folded hands से फिर से उनसे अपील करता हूं कि झारखंड के 1.36 लाख करोड़ रुपये कोयला बकाया का भुगतान करें। यह राशि झारखंड के विकास के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।"
मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि उन्होंने कई बार केंद्र से बकाया राशि चुकाने का अनुरोध किया, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई।
राज्य का वैधानिक अधिकार
मुख्यमंत्री सोरेन ने कोयला बकाया को झारखंड का वैधानिक अधिकार बताते हुए कहा कि केंद्र सरकार की PSUs (सार्वजनिक उपक्रम) द्वारा बकाया राशि का भुगतान न करना राज्य के विकास में बाधा डाल रहा है।
"यह राशि झारखंडियों के अधिकारों और उनके भविष्य से जुड़ी है। इसके अभाव में राज्य को अपूरणीय क्षति हो रही है," मुख्यमंत्री ने कहा।
सुप्रीम कोर्ट का फैसला
हाल ही में, सुप्रीम कोर्ट की नौ-न्यायाधीशों की बेंच ने झारखंड के पक्ष में फैसला सुनाते हुए कहा कि राज्य को अपने खनन और रॉयल्टी से जुड़े अधिकारों की वसूली करने का अधिकार है।
राज्य सरकार ने इस कानूनी लड़ाई को आगे बढ़ाने के लिए महाधिवक्ता और अन्य कानूनी विशेषज्ञों से सहयोग लेने का निर्णय लिया है।
झारखंड सरकार का यह कदम राज्य के विकास को गति देने के लिए एक बड़ा प्रयास माना जा रहा है।
झामुमो की चेतावनी एक ढेला कोयला नहीं देंगे
इधर केन्द्रीय कोयला राज्यमंत्री के उस बयान पर की झारखंड का केंद पर कोई बकाया नहीं , इस पर झामुमो के महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने साफ कहा कि अगर कोयले की रॉयल्टी 15 दिनों के अंदर नहीं दिया गया तो राज्य से एक ढेला कोयला बाहर नहीं जाएगा ,उन्होंने कोयला कंपनी के अधिकारियों को चेतावनी देते हुए कहा राजमहल से लेकर राजधनवार तक कोयला ढुलाई बंद करा दी जाएगी ।
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