जमशेदपुर(JAMSHEDPUR):अप्रैल महीने में प्रचंड गर्मी से पूरा देश के साथ-साथ झारखंड राज्य के लोग परेशान हैं. लेकिन झारखंड के बहुत जिले ऐसे हैं जहां गर्मी का पारा कुछ ज्यादा ही चढ़ा हुआ है. जिसमें लौहनगरी जमशेदपुर सबसे आगे है. पूरा कोल्हान प्रचंड गर्मी से त्रस्त है. पारा 44 डिग्री के पार जा चुका है. सभी जलस्रोत सूख चुके हैं. इसके साथ ही स्वर्णरेखा और खरकाई नदी का पानी भी जहरीला हो चुका है. जिससे लोगों को पीने का पानी तक के लिए तरसना पड़ रहा है. सबसे ज्यादा परेशानी बस्ती में रहनेवाले लोगों को हो रही है. जिनको कड़कती धूप में पानी के लिए यहां से वहां छटपटाना पड़ रहा है. फिर भी पानी हाथ नहीं लग रहा है.
बुरी तरह से सता रही है प्रचंड गर्मी
आपको बताएं कि प्रचंड गर्मी लोगों को बुरी तरह से सता रही है. जिसमें सबसे ज्यादा परेशान जमशेदपुर के लोग हैं. जहां पारा बढ़ने के साथ ही पानी के स्त्रोत भी सूख चुके हैं पानी के लिए हर तरफ हाहाकार मचा हुआ है. जमशेदपुर के बस्ती इलाकों में लोग पानी के लिए बूंद बूंद तरस रहे हैं. शहरी निकायों ने हाथ खड़े कर दिए हैं.
पानी की किल्लत से लोगों के सब्र का बांध टूटा
वहीं पानी की किल्लत से शुक्रवार को जमशेदपुर के सिद्धगोड़ा थाना अंतर्गत बाबूडीह और लाल भट्टा के लोगों के सब्र का बांध टूट गया. और सैकड़ों की संख्या में इलाके की महिलाएं और पुरुष हाथों में पानी की डेक्ची,गैलन और अन्य बर्तन लेकर सड़कों पर उतर गए. लोगों ने जमकर नारेबाजी और प्रदर्शन किया. आक्रोशित लोगों ने पानी के बर्तनों के साथ सड़क पर ही प्रदर्शन शुरू कर दिया. और जिला प्रशासन से पानी की मांग करने लगे. तो वहीं इस मामले पर लोगों ने बताया कि दोनों बस्तियों के सैकड़ों परिवार भीषण जल संकट से जूझ रहे हैं. जूसको की ओर से एक समय पानी दिया जाता था. लेकिन वह भी कुछ समय के लिए दिया जाता है. पानी के लिए दोपहर से घंटों लाइन में लगना पड़ता है.जिससे लोगों की जरुरते पूरी नहीं नहीं होती है. लोगों ने दो वक्त पानी मुहैया कराने की मांग की है. इस दौरान लोगों ने जमकर नारेबाजी और प्रदर्शन किया. और जिला प्रशासन से जल्द से जल्द पानी की समस्या से निजात दिलाने की मांग की है.
लोगों को गर्मी में पानी के लिए यहां-वहां की ठोकरें खानी पड़ती है
जमशेदपुर में पानी की समस्या कोई नई बात नहीं है. कई वर्षों से यहां पानी की समस्या से लोग गर्मी में परेशान होते हैं. लेकिन सरकार या प्रशासन की ओर से कोई ठोस व्यवस्था नहीं की जाती है. इसकी वजह से लोगों को चिलचिलाती धूप और गर्मी में यहां वहां की ठोकरें खानी पड़ती है. लेकिन फिर भी पीने का पानी नसीब नहीं होता है.
रिपोर्ट: रंजीत ओझा
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