धनबाद(DHANBAD): झारखंड हाई कोर्ट ने झारखंड सरकार को निकाय चुनाव की घोषणा तीन हफ्ते में करने को कहा है. यह आदेश गुरुवार को दिया गया है. धनबाद में भी नगर निगम का चुनाव लंबित है. 2019 के बाद से ही चुनाव की प्रतीक्षा की जा रही है. मतलब अब लोकसभा और विधानसभा चुनाव के पहले धनबाद के मतदाताओं के आगे एक बार फिर उम्मीदवारों को " हथजोड़ी" करनी होगी. वोट मांगने होंगे. अभी तो लोकसभा चुनाव की ही चर्चा चल रही थी. उसी की तैयारी में सारे लोग लगे हुए थे. लेकिन अब निकाय चुनाव को लेकर भी सरगर्मी तेज होगी. जिन्हें चुनाव लड़ना होगा, वह आज ही से सक्रिय हो जाएंगे. कोई खुद लड़ेगा, कोई और किसी को लड़ायेगा.
लोकसभा और विधानसभा लड़ने वाले भी लेंगे रूचि
लोकसभा और विधानसभा का चुनाव लड़ने वाले भी इस चुनाव में रुचि लेंगे. क्योंकि धनबाद नगर निगम के चुनाव में जितने अधिक उनके समर्थक होंगे, उसका लाभ उन्हें मिलेगा. इसके पहले भी निगम चुनाव की सुगबुगाहट हुई थी. चुनाव लड़ने के इच्छुक लोग मतदाताओं के समक्ष "दंडवत" करने लगे थे. मेयर पद के उम्मीदवारों से अधिक वार्ड पार्षद का चुनाव लड़ने वाले सक्रिय हो गए थे. चुनाव दलीय आधार पर नहीं कराने की सरकार ने पहले ही घोषणा कर चुकी है. यह भी तय हो गया है कि डिप्टी मेयर का चुनाव नहीं होगा. पार्षद ही डिप्टी मेयर का चुनाव करेंगे. जिला प्रशासन के लिए भी लोकसभा चुनाव से पहले एक और चुनाव करना चुनौती पूर्ण काम होगा.
2010 में पहली बार धनबाद निगम का चुनाव हुआ था
2010 में पहली बार धनबाद निगम का चुनाव हुआ था. वैसे निगम का गठन 2006 में ही हो गया था लेकिन पहला चुनाव 2010 में हुआ था और श्रीमती इंदु देवी धनबाद की प्रथम महिला बनी थी. उसके बाद 2015 में चुनाव हुआ. इस चुनाव में भाजपा से जुड़े शेखर अग्रवाल मेयर बने. 2019 तक उनका कार्यकाल रहा. 2019 के बाद निगम सरकार के अधीन हो गया और नगर आयुक्त ही इसके सर्वे सर्वा रहे. अब एक बार फिर निगम चुनाव की सक्रियता शुरू होगी. प्रत्याशी दारवाजे - दारवाजे घूमेंगे, राज्य का कौन सा निगम सीट किसके लिए आरक्षित होगा, यह तो अभी क्लियर नहीं है लेकिन रोस्टर के हिसाब से लोग अभी से ही गुणा -भाग करने लगेंगे.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो
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