गुमला:नगर परिषद की कार्यशैली दुकानदारों के लिए बनी मुसीबत! दुकानों के सामने लगा कचरे का अंबार, ग्राहक के नहीं आने से भूखे मरने की आई नौबत


गुमला(GUMLA):गुमला जिला में इन दिनों नगर परिषद की कार्यशैली लोगों के लिए परेशानी का सबक बना हुआ है, नगर परिषद के पुराने परिसर में दर्जन भर दुकान हैं, जिससे कई परिवारों का जीवन चलता है, लेकिन नगर परिषद ने ही उसे एक डंपिंग यार्ड बना दिया है. जिसके कारण वहां पर संचालित दुकानदारों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. कई दुकानों की स्थिति तो ऐसी हो गई है की दुकानों को खोलने में भी दुकानदारों को दिक्कत हो रही है, ऐसे में खरीदार कैसे वहां पहुंच पाएंगे यह काफी चिंता का विषय बना हुआ है. बावजूद इसके किसी भी प्रशासनिक पदाधिकारी का ध्यान इस ओर नहीं जा रहा है.
नगर परिषद की ओर से ही अपनी पुरानी खराब वाहनों को लगा दिया गया है
वहीं जब शहर की सफाई करनेवाले ही गंदगी का कारण बन जाए तो फिर कैसे बेहतर व्यवस्था की जा सकता है,कुछ ऐसा ही गुमला जिला में देखने को मिल रहा है. इन दिनों गुमला जिला मुख्यालय के पुराने नगर परिषद परिसर में दर्जन भर से अधिक दुकानें मौजूद है, जो आम लोगों को नगर परिषद की ओर से किराए पर आवंटित की गई है. दुकान लेनेवालों ने इस सोच के आधार पर दुकान लिया कि इससे उनका परिवार का भरण पोषण हो पाएगा, लेकिन इन दुकानों के आसपास नगर परिषद की ओर से ही अपनी पुरानी खराब वाहनों को लगा दिया गया है जिसके कारण यहां गंदगी अंबार लगा हुआ है.
ग्राहक दुकानों के आसपास नहीं आता है जिसके कारण उनका दुकान पूरी तरह से प्रभावित
वहीं स्थानीय दुकानदारों ने बताया कि नगर परिषद की कई खराब वाहनों को यहां लाकर खड़ा कर दिया गया है, जिसके कारण उन्हें काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है.अब तो स्थिति ऐसी हो गई है कि लोगों ने इसे खुला शौचालय बना दिया है. लोग यहां आकर आए दिन गंदगी करते रहते हैं, स्थिति ऐसी हो गई है की दुर्गंध के कारण दुकानदारों को अपनी दुकानों में बैठना तक मुश्किल हो गया है. ऐसे में कोई भी ग्राहक इन दुकानों के आसपास नहीं आता है जिसके कारण उनका दुकान पूरी तरह से प्रभावित हो रहा है.
दुकानदारों ने समस्या को लेकर फरियाद तो किया, लेकिन समस्या का समाधान नहीं हुआ
वहीं दुकानदारों ने अपनी समस्या को लेकर कई बार फरियाद तो की, लेकिन समस्या का समाधान नहीं हो पाया है. एक दुकानदार ने तो यहां तक कहा कि उनकी बिक्री की स्थिति ऐसी हो गई है कि परिवार का दो वक्त का भोजन भी जुगाड़ नहीं हो पा रहा है, ऐसे में उन्हें अब अपने जीवन लीला को ही समाप्त कर देनी होगी, क्योंकि सरकार और प्रशासन को उनकी चिंता नहीं है. ऐसे में उनके परिवार का भरण पोषण कैसे हो पाएगा.
विगत 5 वर्षों से केवल आश्वासन ही मिल रहा है
ऐसा नहीं है कि अपनी इन समस्याओं को लेकर दुकानदारों द्वारा आवाज नहीं उठाई गई है. नगर परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी से लेकर कई स्थानों पर लोगों ने अपनी बात को रखने का काम किया है,लेकिन उन्हें विगत 5 वर्षों से केवल आश्वासन ही मिल रहा है.लेकिन अब तक उनके समस्या का समाधान नहीं हो पाया है. वहीं दुकानदारों ने बताया कि नगर परिषद की ओर से नियमित रूप से दुकानों का भाड़ा तो लिया जाता है, लेकिन उनकी दुकानों के सामने जो समस्या बनी हुई है गंदगी के रूप में उसकी साफ सफाई को लेकर कोई गंभीरता से कार्रवाई नहीं कर रहा है. जिसके कारण उनकी परेशानी दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है.
दुकानदारों की परेशानी प्रशासनिक उदासीनता और प्रशासनिक लापरवाही को दर्शाता है
दुकानदारो का स्पष्ट मानना है कि यह इलाका कहीं दूर दराज का इलाका नहीं है, बल्कि शहर के हृदयस्थली के रूप में चिन्हित इलाका है. बावजूद इसके इस ओर प्रशासन का ध्यान नहीं जाना प्रशासनिक उदासीनता और प्रशासनिक लापरवाही को दर्शाता है. दुकानदारों का मानना है कि जल्दी ही उनकी समस्या का समाधान नहीं हुआ तो वे लोग सड़क पर उतरकर आंदोलन करेंगे. दुकानदारों ने जिले के डीसी से भी इस मामले को लेकर कार्रवाई करने की मांग की है. उन्होंने कहा कि कई परिवारों का लालन पालन इन दुकानों के माध्यम से होता है, ऐसे में जिले के डीसी को इस मामले को गंभीरता से लेना चाहिए और इस हिसाब सफाई करवा देनी चाहिए. ताकि यहां पर जो दुकान चलती है उसका सही रूप से संचालन हो सके.
रिपोर्ट-सुशील कुमार
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