गुमला : जल संरक्षण और पानी की शुद्धता के लिए जहां बड़े-बड़े पोस्टर लगाए जाते हैं. मंच से बड़े-बड़े भाषण दिए जाते हैं वहीं जमीनी स्तर पर किसी भी तरह का प्रयास नहीं दिखाई पड़ता है. केवल कागजों में ही कार्य दिखाकर पैसों का बंदर बाट हो जाता है. प्रशासनिक पदाधिकारियों की उदासीनता और लापरवाही भी इस कार्य में महत्वपूर्ण योगदान दे रही है. करोड़ों रुपया खर्च करने के बाद भी पुग्गू नदी किसी काम के लायक नहीं है. पानी इतना गंदा हो चुका है कि आम इंसान तो इंसान जानवर भी इसका प्रयोग नहीं कर पा रहे हैं.
कचरा डंपिंग करने वालों ने बनाया कूड़ा दान
गुमला जिले के मुख्यालय में काली मंदिर के पास से बहने वाली पुग्गू नदी का अस्तित्व खतरे में दिखाई पड़ रहा है. स्थिति यह है जिस नदी में 30 से 40 फीट चौड़ा पानी बहा करता था. लोग अपने दैनिक जीवन के कई कार्य में इस पानी का प्रयोग करते थे, उस नदी में नाम मात्र का पानी बह रहा है. कचरा डंपिंग करने वालों ने उसे कूड़ा दान बना दिया है. कई तरह के खरपतवार और जंगली घास नदी में उगाए हैं.
नदी में उगने लगे जंगली घास
एक समय था जब इस पानी का लोग नहाने कपड़े धोने के कार्यों में इस्तेमाल करते थे मवेशियों के पानी पीने के लिए भी प्रयोग होता था.परंतु अभी स्थिति यह हो गई है कि एक तो नदी काफी दूषित हो गई है दूसरी ओर नदी में उगने वाले जंगली घास भी इसके अस्तित्व को मिटाने में लगे हुए हैं. प्रशासन को चाहिए कि नाले की नियमित रूप से साफ सफाई की जाए. वहां का पानी को उपयोग करने लायक बनाया जाए ताकि इंसान से लेकर मवेशी तक पानी का उपयोग कर सके
तत्काल एक्शन का आश्वासन
इस बारे में जब नगर परिषद के पदाधिकारी से बात की गई तो उन्होंने इस बात की जानकारी नहीं होने के बाद बोलते हुए, इस बात को संज्ञान में लाने के लिए धन्यवाद कहा, इस पर तत्काल एक्शन लेने की भी बात कही. ऐसे में अगर प्रशासनिक पदाधिकारी और सरकार इसी तरह से सोई रही तो वह दिन दूर नहीं जब नदी का नामो निशान मिट जाएगा और वहां पर खेत एवं घर बना लिए जाएंगे.
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