गुमला: दुकूँ परंपरा से साथ लिव इन रिलेशनशिप में रहनेवाले 101 जोड़ों की कराई गई शादी, पढ़ें क्या है दुकूँ परंपरा


गुमला(GUMLA):झारखंड के कई इलाकों में गरीबों की वजह से युवक युवती लिव इन रिलेशनशिप में रह जाते हैं, लेकिन लंबे समय तक वह इस व्यवस्था में रहने की वजह से सामाजिक सम्मान नहीं प्राप्त कर पाते हैं, जिसे गंभीरता से लेते हुए गुमला जिला के सामाजिक कार्यकर्ता सह पूर्व पुलिस पदाधिकारी जगन्नाथ उरांव द्वारा एक प्रयास करते हुए विगत कई वर्षों से ऐसे जोड़ों की सामूहिक रूप से शादी कराई जा रही है. इसी क्रम में इस बार भी 101 जोड़ों की सामूहिक रूप से शादी कराई गई.जिसमें आदिवासी उरांव समाज के साथ ही साथ हिंदू समाज से जुड़े हुए युवक युवतियां शामिल थी.इन सभी की शादी उनके धार्मिक परंपरा के अनुसार पूरी विधि विधान के साथ करवाई गई.
चेहरे पर खिली हंसी
जगन्नाथ राव ने बताया कि उन्हें यह बात लंबे समय से चुभती थी कि झारखंड की एक परंपरा है जिसमें लोग दुकूँ परंपरा के तहत एक दूसरे के होकर पति-पत्नी के रूप में लंबे समय तक रहते हैं जिसे सामान्य बोलचाल की भाषा में लीव इन रिलेशन में रहनेवाले दंपति कह सकते हैं,लेकिन इन्हें सामाजिक मान्यता नहीं मिलने की वजह से इन्हें काफी समाजिक दुराचार का सामना करना पड़ता था और खास क उनके होनेवाले बच्चों को भविष्य में काफी परेशानी का सामना करना पड़ता था .इस बात को उन्होंने गंभीरता से लिया और उसके बाद अपने गांव में आकर समाज के अन्य लोगों के साथ विचार विमर्श करके अपने ही गांव तेल गांव में इस तरह की सामूहिक शादी की परंपरा शुरू की.जिसके बाद से लगातार कई वर्षों से यह परंपरा चली आ रही है उन्होंने बताया कि इस काम में समाज के अन्य लोगों के द्वारा भी सहयोग मिलता है जिसके कारण उनका मनोबल काफी बड़ा हुआ है.इस परंपरा में आकर शादी जो लोग करते हैं उनके चेहरे पर एक अनोखी खुशी देखने को मिलती है.
समाज में नहीं मिल पाता था सम्मान
लंबे समय तक लिव इन रिलेशन में रहने की वजह से उन्हें समाज तो सही रूप से नहीं देखा जाता था और उन्हें इस बात की चिंता सताती थी कि जो उनके बाल बच्चे हुए हैं उन्हें सामाजिक स्तर पर किस तरह से मान सम्मान मिलेगा.जगन्नाथ उरांव के द्वारा किया जा रहा है यह पहला निश्चित रूप से उनके जीवन को एक खुशी का स्वरूप मिल रहा है ऐसे में वह लोग इसके लिए उनका धन्यवाद ज्ञापन करते हैं साथ ही साथ जगन्नाथ चुनाव द्वारा किए जा रहे इस पहल से कई परिवारों के चेहरे पर खुशी देखने को मिलती है.
रिपोर्ट-सुशील कुमार
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