गुमला(GUMLA):गुमला जिला मुख्यालय में स्थित ललित उरांव बस स्टैंड की स्थिति दिन प्रतिदिन बदहाल होती जा रही है, जिसको लेकर ना तो प्रशासनिक दृष्टिकोण से कोई कार्रवाई की जा रही है और ना ही जिला प्रशासन के पदाधिकारी ही इसको लेकर गंभीर नजर आ रहे हैं. जिला के जो राजनेता है उनमें भी इस बात को लेकर गंभीरता नहीं देखने को मिल रही है. जिसकी वजह से लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है. स्थानीय लोगों ने बताया कि गुमला जिला से परिवहन का कोई दूसरा विकल्प नहीं होने की वजह से लोग केवल बसों पर पर ही आश्रित हैं, ऐसे में गुमला बस स्टैंड की स्थिति काफी बेहतर होनी चाहिए, लेकिन ऐसा होता नजर नहीं आ रहा है.
कोई राजनीतिक दल का नेता गुमला के आदिवासियों के बारे में कुछ नहीं करता है
इस बस स्टैंड से प्रतिदिन लगभग डेढ़ सौ से अधिक बसों का परिचालन होता है, लेकिन आपको जानकर आश्चर्य होगा कि बस स्टैंड की स्थिति इतनी दयनीय हो गई है कि यहां पर मूलभूत सुविधाएं भी सही रूप से नहीं है, जबकि गुमला जिला बने हुए लगभग 40 साल से अधिक का समय बीत गया है.बावजूद इसके बस स्टैंड की स्थिति को देखकर स्पष्ट लगता है कि आदिवासियों के नाम पर राजनीति तो बहुत कोई करता हैं,लेकिन सरकार में बैठा हुआ कोई भी राजनीतिक दल का नेता गुमला के आदिवासियों के बारे में कुछ नहीं करता है.ऐसे में आप समझ सकते हैं कि राज्य के राजनेताओं में आदिवासियों के प्रति कितनी चिंता है.
बस स्टैंड में ना तो सही रूप से पानी की व्यवस्था है, ना ही शौचालय की व्यवस्था है
गुमला जिला मुख्यालय में स्थित ललित उरांव बस पड़ाव को जिला के कई प्रशासनिक पदाधिकारी ने विकसित किया है और सभी प्रशासनिक पदाधिकारी ने इसकी बदहाल स्थिति को लेकर चिंता तो व्यक्त की है, लेकिन उसके इसकी स्थिति को बेहतर करने को लेकर कोई कार्रवाई नहीं की है, जिसकी वजह से लोग परेशान है. बस स्टैंड में मौजूद लोगों का कहना है कि बस स्टैंड में ना तो सही रूप से पानी की व्यवस्था है, ना ही शौचालय की व्यवस्था है. लोग बदहाली के बीच में ही यात्रा करने को मजबूर है. स्थानीय लोगों ने तो यहां तक आरोप लगाया कि कई बार प्रशासनिक पदाधिकारी और जन प्रतिनिधि को ध्यान आकृष्ट करवाया गया, लेकिन कोई सुधार नहीं हुआ.
इसको पूरी तरह से भगवान भरोसे छोड़ दिया गया है
वहीं इस बस स्टैंड से नगर परिषद को लाखों की राजस्व की प्राप्ति भी होती है, बावजूद इसके नगर परिषद भी इस मामले को लेकर गंभीर नजर नहीं आ रहा है, ना तो बस स्टैंड में सड़कों की व्यवस्था सही है, ना ही सही रूप से नालियों की व्यवस्था की गई है, पीने की पानी हो या फिर स्ट्रीट लाइट की व्यवस्था तक नही है, इसको पूरी तरह से भगवान भरोसे छोड़ दिया गया है. ऐसे में लोगों का विश्वास टूटता जा रहा है, लोगों को ऐसा लग रहा है कि शायद बस स्टैंड को बेहतर करने को लेकर ना तो प्रशासन के पास कोई योजना है और ना ही सरकार के पास कोई प्रस्ताव ही तैयार किया गया है ऐसे में लोगों को लगातार समस्याओं का सामना करना पड़ता है.
रिपोर्ट-सुशील कुमार
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