अब भी चेते सरकार: झारखंड को छोड़ 700 डॉक्टर क्यों चले गए दूसरी जगह, पढ़िए इस रिपोर्ट में


धनबाद(DHANBAD): झारखंड के देवघर में एम्स संचालित होने की वजह से प्रदेश के मरीजों को अब रिम्स के अलावा एम्स में भी इलाज का विकल्प मिल गया है. एक आंकड़े के अनुसार झारखंड में 3000 पर एक डॉक्टर है. हालांकि यह आंकड़ा पिछले साल का है. सरकार दावा करती है कि डॉक्टरों की संख्या बढ़ी है. लेकिन यह बात भी सच है कि पिछले 3 साल में 700 से अधिक चिकित्सक झारखंड को छोड़ चुके है. क्या वजह है, इस पर सरकार को चिंतन करने की जरूरत है. 3 साल में 700 डॉक्टर के झारखंड छोड़ने का आंकड़ा रविवार को सामने आया है. इंडियन मेडिकल एसोसिएशन, झारखंड प्रदेश एग्जीक्यूटिव कमिटी की बैठक रविवार को धनबाद में हुई. इसमें कई मुद्दों पर चर्चा की गई.
आखिर क्यों लंबित रखा गया है मेडिकल प्रोटेक्शन एक्ट
डॉक्टरो में इस बात का गुस्सा है कि सरकार के उदासीन रवैया की वजह से मेडिकल प्रोटेक्शन एक्ट अब तक लंबित है. डॉक्टरो को सुविधा देने के बजाय सरकार क्लिनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट के जरिए शोषण करने में लगी है. यही वजह है कि 3 वर्ष में झारखंड के लगभग 700 डॉक्टर दूसरे राज्यों में चले गए है. संगठन ने सरकार से 50 से कम बेड वाले क्लिनिक नर्सिंग होम व अस्पताल को सीआईए से बाहर करने की मांग की है. यह भी कहा है कि राज्य सरकार 6 नए मेडिकल कॉलेज खोलने की बात कह रही है, जबकि वर्तमान में संचालित मेडिकल कॉलेजो में चिकित्सा व्यवस्था सही करने की कोई कार्य योजना नहीं है. मेडिकल कॉलेजो में डॉक्टर और मैनपावर की कमी है. जूनियर डॉक्टरों का वेतन बकाया रखा जा रहा है.
चिकित्सक अगर सुरक्षित रहेंगे तभी अपना बेस्ट दे सकेंगे
डॉक्टरो का कहना था कि चिकित्सक अगर सुरक्षित रहेंगे तभी मरीजों को बेहतर सुविधा दे सकेंगे. एक आंकड़ा यह भी दिया गया कि देश के 25 राज्यों में मेडिकल प्रोटेक्शन एक्ट लागू है. लेकिन झारखण्ड में सुरक्षा नहीं मिलने से चिकित्सक गंभीर मरीजों का इलाज करने से बचते है. यह बात भी सच है कि शहर में तो जैसे- तैसे लोगों को इलाज की सुविधा मिल जा रही है, लेकिन ग्रामीण इलाकों में पदस्थापित डॉक्टर या तो अस्पताल नहीं जाते या फिर नौकरी ही छोड़ देते है. प्रदेश में कई ऐसे स्वास्थ्य उप केंद्र हैं, जो नर्सो के भरोसे चल रहे है. झारखंड में नर्सो की भी कमी है.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो
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