CNT Act में संशोधन को लेकर सरकार तैयार, जानिए क्या होगा इसका नफा नुकसान

रांची(RANCHI): - छोटा नागपुर टेनेंसी एक्ट यानी TAC एक्ट के प्रावधानों में संशोधन होगा. सरकार इसके लिए तैयार हो गई है. राज्य की हेमंत सरकार इसके लिए विधि सम्मत कार्रवाई करेगी. यह एक बड़ा निर्णय होने जा रहा है जिसका झारखंड के आदिवासी और मूल वीडियो पर असर पड़ेगा.
कहां से आया यह संवेदनशील मुद्दा
हम आपको बता दें कि सीएनटी एक्ट में संशोधन का प्रयास पिछली रघुवर सरकार ने भी किया था लेकिन इसको लेकर बड़ा बवाल हुआ परिणाम स्वरूप राज भवन से यह विधायक वापस हो गया. उस समय विपक्ष में झारखंड मुक्ति मोर्चा था और नेता प्रतिपक्ष के रूप में आज के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन थे. सीएनटी एक्ट में संशोधन के विषय को लेकर विधानसभा की कार्रवाई लगातार बाधित होती रही. मामला खटाई में पड़ गया.
गुरुवार को प्रोजेक्ट भवन में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के अध्यक्षता में झारखंड राज्य जनजातीय परामर्शदातृ परिषद यानी टीएसी की महत्वपूर्ण बैठक हुई. इस बैठक में कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए लेकिन सबसे महत्वपूर्ण विषय यही था की सरकार ने एक तरह से यह तय कर लिया है कि 26 जनवरी,1950 यानी जब से भारत में गणतांत्रिक व्यवस्था शुरू हुई,उस समय झारखंड में जो जिले थे और उनके अंतर्गत जो पुलिस थाने आते थे उसी को आधार बनाया जाएगा. यानी यह मान लीजिए कि उसे समय जो थाना था उसे थाना के अंतर्गत आज कई जिले आ जा रहे हैं. सीएनटी एक्ट के तहत आदिवासी जमीन की खरीद बिक्री संबंधित थाना क्षेत्र के ही आदिवासी कर सकते हैं. अब जब 73 साल पूर्व की व्यवस्था लागू होगी तो समझ सकते हैं कि उसे समय जो पुलिस थाने थे जिनमें कई आज की तारीख में प्रशासनिक जिले बन गए हैं. उन क्षेत्रों के आदिवासी कहीं भी जमीन खरीद और बेच सकेंगे.
क्या कहना है बुद्धिजीवियों का
राज्य जनजातीय परामर्शदातृ समिति की बैठक में सीएनटी एक्ट में 1950 की व्यवस्था लागू करने पर सहमति बनी. इसके अनुसार से आप पर सरकार आगे विधायक लेगी इस विधानसभा से पारित कराया जाएगा तब यह कानून संशोधित हो पाएगा.
इसके क्या हो सकते हैं दुष्परिणाम
मालूम हो कि जल जंगल जमीन आदिवासी समुदाय की मुलाकात मानी जाती है. जमीन से उनका भावनात्मक जुड़ाव रहता है. आज की तारीख में अगर इसमें संशोधन होता है तो इस बात का अंदेशा जरूर रहेगा कि जो कानून उन्हें आज तक जमीन का मालिक बना कर रखा है. हो सकता है कि जरूरत नहीं होने पर भी जमीन के मालिक उसे भेज सकते हैं क्योंकि खरीदार एक बड़े क्षेत्र का हो जाएगा. जाहिर सी बात है की जमीन को लेकर झारखंड में अपराध होते रहे हैं. ऐसे में समाज के दो बड़े भूमि माफिया बड़ी मात्रा में जमीन औने-पौने दाम में खरीद सकते हैं. कई बार पैसे वाले गरीब लोगों को उनकी मजबूरी का फायदा उठाकर जमीन लिखवा लेते हैं इस तरह की प्रवृत्ति बढ़ने की आशंका है. इसका दूसरा पक्ष भी जानना जरूरी है. बहुत सारे आदिवासी समाज के लोग बेहद गरीब हैं उनके पास जमीन है लेकिन वह बीच नहीं सकते हैं. अब एक बड़े दायरे में इस कानून के संशोधन के बाद वे खरीदारों से जमीन का मोल भाव कर सकते हैं. इससे जरूरत पड़ने पर जमीन बेचकर पैसे प्राप्त करने के लिए उनके पास बड़े खरीददार आ सकते हैं. अब देखना होगा कि झारखंड की हेमंत सरकार 1908 के इस एक्ट में किस प्रकार का और कितना संशोधन करती है.
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