धनबाद(DHANBAD): महंगाई के बावजूद सोना अभी भी "सोणा" है. निवेश के लिए आज भी भारतीय इसे सबसे अच्छा साधन मानते है . भारतीय महिलाओं की कमजोरी गहने होते है. हर घर में बचत कर कुछ ना कुछ गहनो की खरीद होती है. झारखंड की बात की जाए तो लगभग 4000 करोड़ प्रतिवर्ष यहां सोने का बाजार है. वैसे, पूरे देश में चालू वित्तीय वर्ष की तिसरी तिमाही में सोने की डिमांड में बढ़ोतरी हुई है. एक आकलन के अनुसार सोने की मांग में 10% की बढ़ोतरी हुई है. वैसे, पूरे विश्व में भारत सोने का दूसरा सबसे बड़ा उपभोक्ता देश है. यह बात अलग है कि सोने के दाम में लगातार कभी स्थिरता तो कभी बढ़ोतरी होती रही है. त्योहारी सीजन चल रहा है. अब तो शादी -विवाह का वक्त भी आने वाला है. ऐसे में हो सकता है कि सोने की कीमत में बढ़ोतरी हो. दिवाली और धनतेरस सामने है, इसका असर सोने के बाजार पर तो पड़ेगा ही. हालांकि कारोबारी मूल्य में थोड़ा बहुत परिवर्तन की उम्मीद रखते है.
सोने का आयात बढ़कर 220 टन से अधिक
पूरे देश के आंकड़े पर गौर करें तो सोने की खपत का 60% हिस्सा ग्रामीण इलाकों में होता है. आने वाले सालों में भारत में सोने की खपत और बढ़ने की उम्मीद की जा सकती है. तिसरी तिमाही में भारत में सोने का आयात बढ़कर 220 टन से अधिक हो गया है. जो पिछले साल की इस अवधि से अधिक है. इसी तरह आभूषणों की डिमांड में भी बढ़ोतरी हुई है. आभूषण के अलावा लोग सॉलिड सोना खरीदना अधिक पसंद कर रहे है. निवेश के लिए भी इसका उपयोग हो रहा है. सोने में निवेश करना हर भारतीय को पसंद होती है. कई लोग तो बचत के लिए ही सोना खरीदते हैं. सोने की मांग आयात के जरिये ही पूरी होती है. केवल साल 2022 में विदेशों से 706 टन सोना भारत लाया गया. इस खरीदी पर देश ने 36.6 बिलियन डॉलर खर्च करने पड़े थे. सोने की कीमत भारत में बड़ी भी है. फिर भी लोगो का आकर्षण बना हुआ है.साउथ में तो इसकी डिमांड अधिक होती आई है.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो
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