गोड्डा(GODDA): गोड्डा जिला प्राकृतिक खनिज संपदाओं से भरा हुआ जिला है. यहां विशेषकर कोयला काफी प्रचुर मात्रा में पाया जाता है. एशिया का सबसे बड़ा कोयला खदान जिले के ही ललमटिया में अवस्थित है जो 80 के दशक से ओपन कास्ट कोयला खदान है, जहां आज तक कोयला उत्खनन का कार्य चल रहा है.
सुन्दरपहाड़ी के जंगल में अवैध कोयले की सुरंग, क्या एक दिन में बन गया!
सुन्दरपहाड़ी प्रखंड के जंगल है, जहां आज भी कोयले के अकूत भण्डार होने से इनकार नही किया जा सकता. मगर इस प्रखंड में भू-गर्भ शास्त्रियों की नजर शायद नहीं पड़ी, जिसकी वजह से यहां जीतपुर के अलावे भी कई स्थानों में जमीन के अन्दर कोयला होने की जानकारी नहीं मिला सकी हो. मगर अवैध कार्य करने वाले लोगों की नजर इन स्थानों तक जरुर पहुंच गयी, जिन्होंने जमीन खोदकर अवैध कोयले निकालने का कार्य शुरू कर दिया और एक व्यापार का जरिया बन गया. और जाहिर सी बात है जिस गहराई तक सुरंगे गयी हैं इसको देख कोई भी कह सकता है कि ये एक दिन का काम हो ही नहीं सकता.
उच्च तकनीक से लैस है यहां की सुरंगें ......
इस प्रखंड में जितने भी गांवों में अवैध सुरंगें बनी हुई हैं वो आधुनिक तकनीक से लैस है. यहां पहाड़ों को काटकर जमीन के अंदर एक मुख्य सुरंग बनायी गयी है. फिर अंदर जाकर उसकी शाखाएं बनायी गयी हैं और फिर उन शाखाओं के भी कई शाखाएं बनायी गयी है और इसी से कोयले की निकासी की जाती थी. इतना ही नहीं जमीन के अंदर जेनेरेटर के माध्यम से रौशनी की भी व्यवस्था की हुई रहती है, इसके अलावे पानी निकासी के लिए पम्पिंग सेट की भी व्यवस्था रहती है. ताकि अत्यधिक पानी को बाहर निकाला जा सके.
कहां-कहां होती है इस तरह की अवैध कोयले की खुदाई ......
सुन्दरपहाड़ी प्रखंड के जीतपुर के अलावे धमलीगोडा, जामुन टांड, डांगा पाडा, बार्गो, झीलवडी इत्यादि ऐसे दुर्गम स्थल पहाड़ियों से घिरे हैं कि आम इंसान इस तरफ का रुख भी नही कर पाते. नतीजा होता है कि ये अवैध कोयला माफिया अपना अवैध कोयले का व्यापार बिना किसी रोकटोक के करने में कामयाब रहते हैं. यहां के अधिकांश निवासी या तो आदिवासी होते हैं या फिर पहाड़िया. जो या तो भय से या फिर चंद पैसों की लालच में इन कारोबारियों के बहकावे में आ जाते हैं.
प्रशासनिक टीम द्वारा धोनीगोडा में सुरंगों के मुहानों को किया गया बंद
रविवार को जिला के खनन विभाग, वन विभाग और सुन्दरपहाड़ी थाना की संयुक्त टीम द्वारा छापेमारी कर धोनीगोडा में सुरंगों को तत्काल ध्वस्त तो किया गया है. मगर सिर्फ मुहानों को बंद करने से समस्या का समाधान हो जायेगा? खैर यहां के खदानों की स्थिति देखकर ये आकलन बखूबी किया जा सकता है कि ये एक दिन में तो नहीं खुदाई हुई होगी. इस विषय पर जब हमने जिला के खनन पदाधिकारी मेघलाल टुडू सवाल किया तो उन्होंने कहा कि सुचना मिलने पर संयुक्त टीम द्वारा छापेमारी की गयी थी. सुरंगों के मुहानों को ध्वस्त किया गया. मौके से एक वाटर पम्प और पाइप की बरामदगी हुई है, कोई गिरफ्तारी नही हुई.
मगर सवाल ये उठता है कि ये कार्रवाई कहीं मुख्यमंत्री के 15 तारीख के आगमन को लेकर महज खानापूर्ति तो नही, वर्ना वर्षों से चल रहे ऐसे अवैध खदानों पर आजतक कोई कार्रवाई क्यों नही हो सकी थी?
रिपोर्ट: अजीत सिंह, गोड्डा
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