गिरीडीह(GIRIDIH): झारखंड में रोजगार एक बड़ी समस्या है. दावे तो बड़े बड़े किये जाते है जिससे बेरोजगारी दूर हो सके. लेकिन रोजगार देने में सभी सरकार फेल साबित हुई है. यही कारण है कि झारखंड से पलायन कर मजदूर देश के अन्य शहर या फिर विदेश चले जाते है.उन्हे ऐसा लगता है कि अगर बाहर निकल गए तो घर की सभी दिक्कतों को दूर कर देंगे. मां बाप के लिए एक छोटा सा आशियाना और दो वक्त चैन की रोटी खाएंगे. लेकिन अक्सर देखा जाता है कि विदेशों में मजदूर बुरे हाल में रहते है. विदेश भेजने के समय एजेंट मजदूरों को बढ़िया सैलरी के बारे में बताते है. लेकिन जब विदेश पहुंचते है तो उनके साथ कुछ और हो जाता है. कुछ ऐसा ही झारखंड के 45 मजदूरों के साथ हुआ है.
गिरीडीह,हजारीबाग और बोकारो के रहने वाले मजदूर लगातार वीडियो जारी कर सरकार से अपने वतन वापसी की गुहार लगा रहे है. लेकिन कही से कोई पहल होती नहीं दिख रही है. मजदूरों ने पाँचवी बार वीडियो बना कर अपना दर्द बताया है. मजदूरों का कहना है कि उनके पास न तो खाने-पीने के लिए कुछ है और न ही पैसे हैं. आखिर उनका दिन अब कैसे कटेगा यह समझ नहीं आ रहा है.मजदूरों ने वीडियो में हाथ जोड़ कर गुहार लगाया है कि भारत सरकार और झारखंड सरकार उन्हे इस नरक से निकाल कर वापस उनके गाँव भेज दे.
प्रवासी मजदूरो के हित में काम करनेवाले सिकन्दर अली ने भारत और राज्य सरकार से तत्काल मजदूरों की मदद करने की अपील की है. उन्होंने कहा कि रोजगार के अभाव में झारखंड में आए दिन कहीं न कहीं से इस तरह के मामले सामने आ रहे हैं. लोग रोजी रोटी की तलाश में विदेश जाते हैं, वहां उनको यातनाएं झेलनी पड़ती हैं. पलायन रोकने के लिए रोजगार की व्यवस्था करने की जरूरत है. इधर,मजदूरों के परिजन काफी परेशान है और वो भी सरकार से मदद मांग रहे है और जल्द से जल्द मजदूरों की वतन वापसी की अपील कर रहे हैं.
बता दें कि बीते 11 मई को सभी मजदूर कॉमर्शियल टेक्नोलॉजी कंपनी के कॉन्ट्रैक्ट पर ट्रांसमिशन लाइन में काम करने के लिए सऊदी अरब गए थे. इसके एवज में बतौर कमीशन 55 हजार रुपए उन्हें देना पड़ा था. काम के बदले लाइनमैन को 15 सौ रियाल (करीब 33 हजार), हेल्पर को 11 सौ रियाल (करीब साढ़े 24 हजार) के अलावा ओवरटाइम के लिए 750 रियाल और खाने-पीने के लिए अलग से 300 रियाल देने का आश्वासन मिला था. 7 महीना काम करवाकर कंपनी ने केवल 2 महीने की मजदूरी दी है.
रिपोर्ट:दिनेश कुमार
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