धनबाद(DHANBAD): गैंग्स ऑफ वासेपुर की काली छाया वासेपुर और आसपास रहने वाले बच्चों के दिमाग पर गहरा छाप छोड़ रहा है. यह जानकर इलाके के लोगों सहित पुलिस अधिकारियों के भी होश उड़ गए हैं. बच्चों पर गैंग्स ऑफ वासेपुर का असर खत्म करने के लिए अलग-अलग ढंग से प्रयास शुरू कर दिए गए हैं. आज शुक्रवार को वासेपुर की 15 मस्जिदों से इमाम सीख देंगे. नमाज पढ़ने आने वाले अभिभावकों को यह बताएंगे कि अपने बच्चों को अपराध में जाने से कैसे रोक सकते हैं. बच्चों के दिनचर्या के निगरानी करें, दोस्त कैसे हैं इसका पता करें, रात में अचानक जा रहा है तो आखिर कहां जा रहा है, उनके पास नए मोबाइल या बाइक है तो यह कहां से आए है. यह सब देखने जानने की अभिभावकों से अपील की जाएगी.
क्या है मामला
मामला कुछ ऐसा है कि कुख्यात प्रिंस खान के गैंगस्टर बनने से प्रभावित होकर 10 से 14 साल के 10, 12 बच्चों ने वासेपुर में गिरोह बनाया. फिर प्रिंस खान के अंदाज में रंगदारी मांगने की योजना बनाई. योजना को जमीन पर उतारने के लिए व्हाट्सएप आईडी बनाकर डीपी में प्रिंस खान का फोटो लगाया. फिर व्हाट्सएप नंबर से यह बच्चे अपने ही रिश्तेदारों से रंगदारी मांगने लगे. यह मामला पुलिस के पास पहुंचा तो पुलिस भी परेशान हो गई. बैंक मोड़, भूली पुलिस ने ताबड़तोड़ वासेपुर, पंडरपाला, समशेरनगर के क्षेत्रों से नाबालिक बच्चों को उठाया. इन बच्चों से जब पूछताछ शुरू हुई तो पुलिस के साथ-साथ उनके माता-पिता के भी होश उड़ गए. बच्चों ने स्पष्ट किया कि खेल खेल में उन्हें यह तरीका अपना लिया है. यह सभी बच्चे छठी से लेकर आठवीं तक की पढ़ाई करते हैं. यह तरीका सुनकर सभी हैरत में पड़ गए. बच्चों के इस खेल का खुलासा होने के बाद एसएसपी संजीव कुमार ने बैंक मोड़ और भूली पुलिस को वासेपुर में शिविर लगाकर अभिभावकों को जागरूक करने का निर्देश दिया. इसी के तहत शिविर भी लगाए गए.
इस शिविर में बुद्धिजीवियों ने शिरकत की और यह प्रयास करने का निर्णय लिया कि बच्चों को बुरी संगत से कैसे बचाया जाए. पुलिस ने भी अभिभावकों से अपील की है कि वे अपने बच्चों पर ध्यान दें. मोबाइल के प्रयोग पर ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है .बच्चों के दोस्तों पर ध्यान रखें. बच्चों के पास पैसे हैं तो पता लगाएं कि पैसे के जरिए क्या हैं. गाड़ी में अगर घूम रहे हैं तो पता लगाएं कि गाड़ी किसकी है. कुल मिलाकर बच्चों की इस करतूत से पुलिस भी परेशान है और इलाके के लोग भी. हालांकि घरवालों के अनुरोध पर बच्चों को थाने से समझा-बुझाकर छोड़ दिया गया है.
रिपोर्ट: धनबाद ब्यूरो
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