धनबाद(DHANBAD): धनबाद का वासेपुर. इस वासेपुर पर फिल्म भी बनी. फिल्म बनने के बाद पूरे देश में वासेपुर का नाम चर्चित हो गया. दशकों पूर्व से यहां गैंग चलता है. यह अलग बात है कि गैंग की लड़ाई कभी किसी के साथ होती है तो कभी किसी के साथ. इधर, आपसी लड़ाई तो कम लेकिन रंगदारी के लिए तरह-तरह के हथकंडे अपनाए जा रहे हैं. इसका परिणाम हुआ है कि वासेपुर और पांडर पाला के कम उम्र के बच्चे अपराध की चौखट पर पहुंच गए हैं. कम उम्र के बच्चे आराम की जिंदगी जीने के लिए गैंग से जुड़ने लगे हैं. यह एक ऐसा मामला है, जो वासेपुर के संभ्रांत और बुद्धिजीवियों को परेशान कर दिया है.
किशोरों की गतिविधियों पर नजर रखने की जरूरत
वासेपुर के बुद्धिजीवी बच्चों को बचाने के लिए आगे आए हैं. बच्चों को गैंग्स और अपराध की दुनिया से दूर रखने के लिए शुक्रवार को एक साथ वासेपुर और पांडरपाला की लगभग 15 से अधिक मस्जिदों से जुम्मे की नमाज से पहले तकरीर में इस विषय को प्रमुखता से रखा गया. इमामो ने तकरीर में कहा कि अभिभावक अपने बच्चों को अपराधियों और गैंग के साए से दूर रखें. कहा गया कि किशोरों की गतिविधियों पर नजर रखने की जरूरत है. प्रिंस खान की तस्वीर व्हाट्सएप की डीपी पर लगा कर अपने रिश्तेदारों से रंगदारी मांगने के मामले में पुलिस ने 2 दिन पहले लगभग 10 किशोरों को उठाया था. जब पूछताछ हुई तो पता चला कि बच्चों ने गैंग बना लिया और उसके बाद कैसे रंगदारी वसूला जाता है, इसके लिए अपने रिश्तेदारों से ही रंगदारी मांगनी शुरू कर दी. इन बच्चों में वासेपुर और पांडरपाला के किशोर शामिल थे. इसके बाद से वासेपुर और पांडर पाला के बुद्धिजीवियों ने पहल की शुरुआत की है. हालांकि ऐसा करने के लिए एसएसपी संजीव कुमार ने भी लोगों को प्रेरित किया है.
जगह-जगह पुलिस बैठक कर रही है और अभिभावकों को जागरूक कर रही है. बता रही है कि इसका कुप्रभाव आगे क्या पड़ेगा. कहा जा रहा है कि नई उम्र के लड़कों को शॉर्टकट तरीके धन कमाना आसान लगता है. आधुनिक सुख सुविधाओं के लिए किशोर अपराधिक तौर तरीके अपना रहे हैं. किसी भी समाज में होने वाले अपराध का प्रभाव कम उम्र के बच्चों पर आसानी से पड़ता है. 10 से लेकर 16 साल के बच्चे क्या कर रहे हैं, उनकी क्या गतिविधियां हैं, इसकी जानकारी अभिभावकों को होनी चाहिए. कहा गया कि बच्चे गीली मिट्टी की तरह होते हैं. जिस तरह गीली मिट्टी को जो चाहे आकार दे सकते हैं, उसी तरह बच्चे का भविष्य भी माता-पिता के हाथों में होता है. इसे बचाना माता-पिता के साथ-साथ समाज का दायित्व और कर्तव्य है.
रिपोर्ट: धनबाद ब्यूरो
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