धनबाद(DHANBAD): धनबाद से कांग्रेस के उम्मीदवार की पेंच ने झारखण्ड की चार सीटों को होल्ड पर रखवा दिया है. झारखंड कांग्रेस में प्रदेश अध्यक्ष वजनदार है कि विधायक अनूप सिंह, इसी पेंच परीक्षण के चलते धनबाद सहित झारखंड की चार सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा नहीं हो रही है. धनबाद सीट पर प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर ने दावा ठोक दिया है. इसके पहले विधायक अनूप सिंह की पत्नी अनुपमा सिंह का नाम धनबाद से उम्मीदवार के रूप में चल रहा था. प्रदेश अध्यक्ष के दावा ठोकने के बाद धनबाद सीट कांग्रेस सर्किल में रांची से लेकर दिल्ली तक हाई प्रोफाइल बन गई है. फ़िलहाल अभी धनबाद के लिये तीन नाम की चर्चा है. प्रदेश कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष जलेश्वर महतो की उम्मीदवारी ,ढुल्लू महतो के कारण मद्धिम पड़ गई है. तो ददाई दुबे के लिए उम्र बाधक बन रही है. कुमार गौरव पारिवारिक विवाद के कारण बाहर समझे जा रहे है. अब राजेश ठाकुर, अनुपमा सिंह और अशोक कुमार सिंह के नाम की चर्चा है. आलाकमान के के सामने संकट यह है कि किसको हरी झंडी दे. इसलिए ग्राउंड लेवल पर भी मंथन चल रहा है .
धनबाद सीट डाले हुए है परेशानी में
वैसे यह मामला अब सोनिया गांधी, राहुल गांधी, मल्लिकार्जुन खड़गे और केसी बेणुगोपाल गोपाल के पास है. सिर्फ धनबाद सीट को लेकर ही झारखंड में कांग्रेस की अन्य तीन सीटें फांसी हुई है. चतरा, रांची और गोड्डा के भी समीकरण में उलट फेर के संकेत मिल रहे है. धनबाद सीट से उम्मीदवार की घोषणा ही अब तीन सीटों के लिए मापदंड बनेगा , ऐसा सूत्र बताते है. धनबाद की रेस में प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर और अनुपमा सिंह शामिल है. प्रदेश अध्यक्ष को किसी भी सीट पर चुनाव लड़ने का दावा करने के लिए किसी अनुशंसा की जरूरत नहीं होती लेकिन अन्य उम्मीदवारों के लिए जिला, प्रदेश से अनुशंसा भेजे जाने की परिपाटी है. लेकिन लोग बताते हैं कि अनुपम सिंह का नाम सीधे दिल्ली में उठा और वहीं से वह रेस में शामिल हो गई. शायद यह बात प्रदेश अध्यक्ष को नागवार गुजरी और उन्होंने धनबाद सीट से दावा ठोक दिया. राजेश ठाकुर भी धनबाद लोकसभा क्षेत्र के रहने वाले हैं, जबकि अनुपमा सिंह गिरिडीह लोकसभा क्षेत्र में रहती है.
चतरा सीट की कहानी भी कम रोचक नहीं अब बाकी तीन सीटों का भी गुणा- भाग समझ लीजिये. चतरा सीट पर यह तो साफ है कि कांग्रेस किसी राजपूत उम्मीदवार को ही उतारेगी. चतरा सीट पर दो नाम पर खूब चर्चा चल रही है. अरुण सिंह और गिरिराज सिंह के नाम यहां आगे आगे चल रहे है. अरुण सिंह के बारे में कहा जाता है कि राजद भी पैरवी कर रहा है और यही वजह है कि राजद ने चतरा सीट से अपना दावा छोड़ दिया है. दूसरी ओर भाजपा छोड़कर राजद में शामिल हुए गिरी नाथ सिंह की भी चर्चा है. कहा जाता है कि गिरिनाथ सिंह को कांग्रेस में शामिल करा कर चतरा से चुनाव लड़ाया जा सकता है. भाजपा ने चतरा से स्थानीय कालीचरण सिंह को उम्मीदवार बनाया है, तो अरुण कुमार सिंह भी स्थानीय है. इसलिए उनका नाम आगे आगे चल रहा है.
रांची से क्यों उछला मंत्री बन्ना गुप्ता का नाम
रांची लोकसभा सीट की बात की जाए तो सुबोध कांत सहाय को टिकट में उम्र आड़े आ रही है. इस वजह से मंत्री बन्ना गुप्ता का नाम भी तेजी से उछला है. हालांकि यह भी चर्चा है कि सुबोध कांत सहाय को टिकट नहीं मिलने पर वह अपनी पुत्री के नाम को आगे कर सकते है. वैसे यह भी कहना अ प्रासंगिक नहीं होगा कि कांग्रेस आलाकमान सुबोध कांत सहाय को नाराज करना नहीं चाहेगा. इसलिए गुणा भाग के बाद ही रांची सीट क्लियर की जाएगी.
गोड्डा लोकसभा सीट की अंदरूनी कहानी
गोड्डा सीट की बात की जाए तो अगर धनबाद से अनुपमा सिंह का नाम फाइनल होता है तो गोड्डा से दीपिका पांडे सिंह का नाम कट सकता है. क्योंकि धनबाद से अगर किसी महिला को उम्मीदवार बनाया जाता है तो गोड्डा से महिला उम्मीदवार बनाने से परहेज हो सकता है. ऐसी स्थिति में फिर विधायक प्रदीप यादव के नाम पर विचार किया जा सकेगा. सूत्र बताते हैं कि धनबाद सीट ऐसा पेंच फसाया है कि कांग्रेस आलाकमान को सील लिफाफा बार -बार खोलना पड़ जा रहा है. नाम के प्रस्ताव के लिफाफे को फिर खोलने की चर्चा तेज है. यह भी जानकारी मिल रही है कि कांग्रेस आलाकमान इस बार झारखंड के सीटों के लिए फूंक -फूंक कर कदम उठा रहा है. कांग्रेस को जिताऊ उम्मीदवार चाहिए, इसलिए भी विलंब किया जा रहा है. वैसे यह भी चर्चा है कि 21 अप्रैल को रांची में रैली के बाद ही कांग्रेस बची हुई चार सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा करेगी. वैसे कांग्रेस फिलहाल तीन सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा कर चुकी है. लेकिन धनबाद सहित झारखंड की चार सीटों पर कांग्रेस को कड़ी मशक्कत करनी पड़ रही है.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो
4+