सारंडा में जंगली जानवरों से अब आदिवासियों को मिलेगी सुरक्षा , वन विभाग ने बनवाया बांस के 36 मचान


चाईबासा (CHAIBASA): सारंडा वन प्रमंडल के गुवा वन प्रक्षेत्र कार्यालय ने वन क्षेत्र के जंगलों में बांस के 36 मचान का निर्माण कराया है. यह मचान गुवा वन प्रक्षेत्र के बहदा, तितलीघाट आदि गांवों में बनाया गया है. वन विभाग का इसे निर्माण कराने का मुख्य उद्देश्य ग्रामीणों को खेती-बाड़ी करने तथा पालतू मवेशियों को चराने के दौरान जंगली जानवरों के हमलों से बचाव करना है. बता दें कि जंगली जानवर से बचने के लिए ग्रामीण इन मचानों पर चढ़कर अपने आप को सुरक्षित कर सकेंगे. इसके अलावे मचान पर बैठकर खेती-बाड़ी की निगरानी भी कर सकेंगे और दूसरी तरफ वन विभाग ने जंगल के बड़े भू-भाग में सिल्वी कल्चर ऑपरेशन के तहत स्ट्रेंच कटिंग, सड़क किनारे झाड़ियों से घेराबंदी, वाटर हॉल का निर्माण बड़े पैमाने पर किया है. बता दें कि गुवा रेंज के वन विभाग के उपपरिसर पदाधिकारी छोटेलाल मिश्रा ने बताया हैं,कि सारंडा जंगल में बड़े पैमाने पर खाली जगहों पर वृक्षारोपण किया जा रहा है.
जंगल की आग को रोका गया गड्ढों के माध्यम
इन पौधों को ग्रामीणों के पालतू जानवरों से बचाने, मिट्टी का कटाव रोकने, भूमिगत जल स्तर को ऊंचा करने गर्मी के मौसम में आग को रोकने के लिए गुवा वन प्रक्षेत्र में एक साथ कई योजनाएं संचालित है. इन योजनाओं के माध्यम से ग्रामीणों को रोजगार भी दिया जा रहा है. लेकिन उन्होंने कहा कि झाड़ियों और लकड़ी से सड़क किनारे घेरा अथवा बाड़ बनाने व बाड़ के नीचे लंबी दूरी तक लगभग 16-16 फीट लंबे एक-एक मीटर का गड्ढा बनाया गया है. इसे पालतू जानवरों को जंगल में जाने से रोकने, इन गड्ढों के माध्यम से वर्षा का पानी रोक कर भूमिगत जल स्तर को ऊंचा करना है, इन गड्ढों के माध्यम से जंगल की आग को आगे बढ़ने से भी रोकना है. फिलहाल वन विभाग द्वारा संचालित तमाम योजनाओं से सारंडा जंगल के पेड़-पौधों, वन्यप्राणियों, पर्यावरण और जल संरक्षण के क्षेत्र में लाभ होगा. इन योजनाओं के क्रिर्यान्वयन से ग्रामीणों को भी रोजगार मिल रहा है.
रिपोर्ट- संदीप गुप्ता, गुवा, चाईबासा
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