(Ranchi):- झारखंड की हजारीबाग सीट पर पिछले दो दशक से भाजपा के पूर्व विदेश और वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा और उनके पुत्र जयंत सिन्हा का वर्चस्व रहा. अगर पिछला पन्ना पलटे तो इन दोनों ने ही भारतीय जनता पार्टी का झंडा यहां बुलंद रखा और बीजेपी के खैवनहार बनते रहे . जब-जब पिता पुत्र की जोड़ी ने चुनाव लड़ा तो जीत ही मिली, सिर्फ 2004 की हार को छोड़ दे तो हजारीबाग लोकसभा के अखाड़े में इसी परिवार का दबदबा और वजूद रहा. लेकिन, अब जयंत सिन्हा का चुनावी राजनीति से संन्यास के एलान के बाद अब मनीष जयसवाल नये उम्मीदवार होगे. दिल्ली में प्रत्याशियों के एलान से कुछ घंटे पहले जयंत सिन्हा ने एक्स एकाउंट के जरिए चुनावी सियासत को अलविदा कह दिया. उनके हटने के साथ ही साफ हो गया है कि 1998 के बाद अब यशवंत औऱ जयंत सिन्हा के बाद, अब बीजेपी में नया उम्मीदवार हजारीबाग के चुनाव रण में होगा. हालांकि, इसे लेकर बहुत पहले ही अटकले और चर्चाओं का बाजार गर्म था. आखिरकार ये सच साबित हुई
अगर हजारीबाग के लोकसभा चुनाव के इतिहास के पन्ने को पलट कर देखे तो 1999 से अभी तक पिता यशंवत सिन्हा और उनके बेटे जयंत सिन्हा ही भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार बनें. अब दो बीस साल से ज्यादा वक्त के बाद ये जोड़ी टूट गई. चलिए जानते है कि विस्तार से कब-कब सिन्हा परिवार हजारीबाग से चुनावी अंखाड़े मे अपना दम दिखाया.
1998 लोकसभा चुनाव - साल 1998 में भाजपा ने नौकरशाह से नेता बने यशवंत सिन्हा को पहली बार टिकट हजारीबाग से दिया था. जिसमे उन्होंने भाकपा के प्रत्याशी भुवनेश्वर मेहता को पराजित कर दिया.
1999 लोकसभा चुनाव - हालांकि, भाजपा की वाजपेयी सरकार गिरने के बाद 1999 में यशवंत सिन्हा को फिर टिकट मिला. इस बार भी उनका मुकाबला भाकपा के भुवनेश्वर मेहता की बजाए लालू प्रसाद यादव की पार्टी राजद से थी. यहां भी यशवंत सिन्हा जीतने में कामयाब हुए और पांच साल तक सांसद रहें.
2004 लोकसभा चुनाव - साल 2004 में भाजपा इंडिया शाइनिंग और फील गुड के रथ पर सवार होकर चुनाव लड़ी थी. लेकिन, बीजेपी को तगड़ा झटका लगा था. इसका खामियाजा यशवंत सिन्हा को भी भुगतना पड़ा, हजारीबाग सीट पर भाकपा के भुवनेश्वर मेहता ने पराजित कर दिया.
2009 लोकसभा चुनाव -साल 2009 में एक बार फिर भाजपा के टिकट पर यशवंत सिन्हा चुनाव लड़े और जीत दर्ज की . इस बार उन्होंने कांग्रेस पार्टी के सौरभ नारायण सिंह को हराकर सांसद बने.
2014 लोकसभा चुनाव- 2014 में पीएम मोदी के अगुवाई में भाजपा ने चुनाव लड़ा. इस दौरान हजारीबाग सीट पर यशवंत की जगह उनके बेटे जयंत सिन्हा को टिकट दिया गया. पहली बार जयंत सांसद के लिए चुने गये, उन्होने कांग्रेस के सौरभ नारायण सिह को पराजित किया.
2019 लोकसभा चुनाव- 2019 में भी जयंत ने भारी बहुमत से जीत हासिल किया. जयंत ने कांग्रेस के गोपाल प्रसाद साहू को करारी शिकस्त दी. और लगातार दूसरी बार दिल्ली दरबार में पहुंचे. इस बार हजारीबाग में उनकी हैट्रिक हो जाती. लेकिन, टिकट मिलने से पहले ही उन्हें अहसास हो गया था कि उन्हें टिकट इस बार नहीं दिया जाएगा. और उन्होंने चुनावी राजनीति को अलविदा कह दिया.
जयंत सिन्हा के जाने के बाद तकरीबन 20 साल से अधिक वक्त तक पिता-पुत्र की जोड़ी टूट गई . पूर्व अटल बिहारी वाजयेपी के शासन में यशवंत सिन्हा विदेश मंत्री और वित्त मंत्री रहे थे. लेकिन, 2018 में उन्होंने भाजपा छोड़ दिया था. 2021 में वे तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो गये थे और टीएमसी के टिकट पर वह राज्यसभा के सदस्य भी बने. 2022 में वर्तमान राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के खिलाफ चुनाव भी लड़ चुके हैं.
इधर, जयंत सिन्हा के हटने बाद भाजपा का झंडा अब मनीष जयसवाल ने थाम लिया है. हाजारीबाग की जनता इस बार उन्हें दिल्ली भेजती है या नहीं ये देखना दिलचस्प होगा. साथ ही इस बार उनके सामने किसकी चुनौती होगी. इस पर भी सभी की नजर लगी रहेगी.
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