Tnp desk:- झारखंड में इस बार मॉनसून की दगाबाजी के चलते उतनी बारिश नहीं हुई, किसानों ने पैदवार की उम्मीद जो जताई थी. उसके मुताबिक नही हुई. हालांकि, कुछ अन्नदाता ऐसे हैं, जिन्होंने पारंपरिक खेती से अलग हटकर उसकी खेती करने की सोची, जिससे उन्हें कुछ पैसे आए.
बोकारो में आर्गेनिक तरबूज की खेती
ऐसा ही कुछ बोकारों जिले के कसमार में देखने को मिली. जरीडीह प्रखंड में ऑर्गेनिक तरबूज की खेती की तैयारी बड़ी पैमाने पर चल रही है. इसकी खेती के लिए दुर्गापुर के ज्योतिजैविक कृषि फर्म और जरीडीह के सरना कृषि फर्म ने विशेष पहल की है. सभी उद्यमी ने मिलकर करीब डेढ़ लाख तरबूज के पौधे को बिल्कुल आर्गेनिक तरीके से तैयार किया है. बताया जा रहा है कि नर्सरी में 99 हजार पौधे को ऑर्गेनिक तरीके से तैयार किया है. इन पौधे का इस्तेमाल प्रखंड के 18 गांवों के 150 किसान करने को तैयार है. आर्गेनिक तरबूज की खेती के प्रति किसानों के रुझान का पता इससे ही लगाया जा सता है कि सभी पौधे की बुकिंग अभी से हो गई है.
तरबूज की खेती के लिए कैसे आया दिमाग
दरअसल, इन इलाकों में धान की पैदवार के बाद किसान अगली फसल के बोने का इतंजार करता है. इस दौरान खेत खाली पड़े रहते हैं. लिहाजा, इन्हीं खाली पड़े खेतों में गर्मी के लिए तरबूज की खेती को बढ़ावा देना का फैसला यहां के किसानों ने लिया. ऐसा अनुमान जतााया जा रहा है कि हजारों क्विंटल तरबूज की फसल की पैदावार यहां की जा सकती है. अगर तरबूज की खेती सीजन में कामयाब हो जाती है, तो फिर यहां के किसानों को काफी फायदा होगा.
कसमार प्रखंड में तरबूज की खेती मुहहुलसुदी, कोतोलगढ़ा, भूसाताड, जवाडीहा सहित कई गांवों में की जाएगी. अगर आर्गेनिक तरबूज की खेती आने वाले सीजन में कामयाब हुई, तो फिर झारखंड के अन्य जिलों में भी किसान इसे अपनाकर खेती करेंगे. इससे उनके सामने एक विकल्प उभरेगा और उनरी आमदनी में भी इजाफा होगा. मौजूदा हालत में बोकारों के किसानों के सामने एक शानदार अवसर के तौर पर आया है. अन्नदाताओं के चेहरे पर मुस्कान ये है कि अगर तरबूज की सफल पैदवार हुई तो फिर आगे कामयाबी मिलेगी.
4+