Explainer: IAS विनय चौबे के तर्ज पर सरकार करें कार्रवाई तो आधे दर्जन से ज्यादा IAS अधिकारी जाएंगे जेल!
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रांची(RANCHI): झारखंड सरकार भ्रष्टाचार के खिलाफ एक्शन मोड में है. राज्य की एजेंसी अंचल कार्यालय के कर्मचारी से लेकर बड़े साहब को भी सलाखों के पीछे भेज रही है.पहली बार झारखंड में ACB का एक्शन ऐसा दिखा है. जिसने प्रधान सचिव रैंक के आईएएस अधिकारी को गिरफ्तार कर लिया हो.लेकिन अब सवाल है कि आखिर राज्य में कितने दागदार अधिकारी है? अगर सरकार विनय चौबे के तर्ज पर जांच कराये तो कई रसुखदार अधिकारी भी हवालात में पहुंच जाएंगे.
सबसे पहले शुरुआत विनय चौबे से करते है. झारखंड के सीनियर आईएएस अधिकारी है. मुख्यमंत्री के प्रधानसचिव रह चुके है. लेकिन जब भ्रष्टाचार में नाम आया तो कार्रवाई हुई. गलत तरीके से धन शोधन कर करोड़ों रुपये बना लिए. खुद और अपने रिस्तेदार और दोस्तों को मौज कटवाया. आखिर में अब जेल तक का सफर तय कर लिया है. शराब और जमीन घोटाले में एसीबी ने गिरफ्तार किया. और हर दिन आईएएस अधिकारी सावलो का सामना कर रहे है.
लेकिन अब सवाल है कि और कितने ऐसे आईएएस अधिकारी झारखंड में मौजुद है. जिसने अपने पद का दुरुपयोग किया और करोड़ों की काली कमाई की है.हाल में केन्द्रीय जांच एजेंसी की कार्रवाई में कई खुलासे सामने आए थे जिसमें कई आईएएस अधिकारी सवाल जवाब का सामना कर कर रहे थे. लेकिन अभी भी कुछ ऐसे विभाग जहां बड़े घोटाले की आशंका है.
अलग अलग विभाग में बड़े पैमाने पर पैसे का खेल जारी है. अगर उदाहरण के तौर पर रांची के नगर निगम को देखे या बोकारो, धनबाद, हजारीबाग, पश्चिमी सिंहभूम के उपायुक्त की बात कर ले. सबसे पहले बात रांची नगर निगम की कर लेते है. यहां बड़ा खेल चलता है. जिससे करोड़ों रुपये की आमदनी होती है. कभी नक्सा पास करने के नाम तो फिर फ्लैट बनाने की अनुमति की बात कर ले. इसमें बिना दस्तावेज जांच किए ही अधिकारी सरकारी जमीन का भी फर्जी दस्तावेज के दम पर नक्सा पास करने से परहेज नहीं करते है.
ऐसे में एक उदाहरण अभी रांची के रिम्स के पास बना अपार्टमेंट है. जिसे हाई कोर्ट के आदेश के बाद तोड़ा जा रहा है. लेकिन चौकाने वाली बात है कि उस अपार्टमेंट का नक्सा भी पास है. और एक आलीशान फ्लैट का निर्माण किया गया. जिसकी कीमत एक करोड़ तक रखी गई. लेकिन अब वह टूट रहा है. अब इस पूरे मामले में अधिकारी सवालों के घेरे में है. आखिर जब जमीन सरकारी थी तो फ्लैट निर्माण की अनुमति कैसे मिली.
इसके अलावा अगर धनबाद, बोकारो, हजारीबाग समेत अन्य जिलों की बात करें तो यहां DMFT यानि DISTRICT MINERAL FOUNDATION TRUST में करोड़ों रुपये की लूट हुई है. इस फंड के मालिक भी डीसी होते है. ऐसे में छोटे काम के बदले करोड़ों रुपये की निकासी की गई है. एक स्कूल के कमरें को बनाने में एक से 2 करोड़ रुपये निकाले गए.इतना ही नहीं तड़ी चाड़क की खरीददारी 4 लाख रुपये तक की गई.
अब इस खेल में अगर जांच हो जाए तो सभी अधिकारी पर कार्रवाई हो सकती है.सभी जिलों में पदस्थापित वर्तमान और पूर्व उपायुक्त और उनके परिवार के लोगों की संपत्ति जांच होने से एक बड़े घोटाले का मामला सामने आएगा और कई अधिकारी सलाखों के पीछे भी पहुंच जाएंगे.
क्योंकि झारखंड अलग राज्य बनने के बाद अगर पीछे है इसमें कहीं ना कही अधिकारी सबसे बड़ी वजह बनते है. और योजना के पैसे का बंदरबाट किया जाता है. यहां के अंचल से लेकर बड़े सरकारी दफ्तर तक पैसे का खेल चल रहा है. लेकिन जांच और कार्रवाई के नाम पर बस इंतजार और कुछ नहीं होता.
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