रांची(RANCHI): झारखंड में विधानसभा का चुनाव शांतिपूर्ण सम्पन्न हो गया. अब 23 नवंबर को मतगणना होना है, इससे पहले देर रात जारी किये गए एग्जिट पॉल में सभी ने NDA को बहुमत के आंकड़े तक पहुंचा दिया है. ऐसी स्तिथि को देख अब लोगों के मन में भी सवाल उठने लगा है कि आखिर एजेंसी कैसे एग्जिट पोल बनाती है. क्या चुनाव आयोग कोई इनपुट देता है. या फिर ग्राउंड पर हालत को भाप कर आंकड़ें दिखाए जाते है.
ऐसे में सबसे पहले यह जान लेते है कि एग्जिट पोल कैसे बनता है. तो चलिए शुरुआत करते है. सबसे पहले जब बूथ पर वोट देने जाते है तो कुछ लोग बूथ से बहार आपसे कुछ सवाल पूछते है. यह सभी बूथ पर नहीं होते है. एक विधानसभा के 10-15 बूथ पर ही अपने आदमी को रखते है. जो लोगों से बात कर आंकड़ें निकालते है. जिस बूथ पर मौजूद रहते है वहां 20 मतदाता में से एक से सवाल पूछते है. ऐसे ही करीब एक बूथ पर 50 लोगों से जानकारी लेकर अपने कार्यालय को देते है. ऐसे ही अन्य बूथ पर भी होता है. इसके आधार पर ही पुरे विधानसभा का आकड़ा तैयार किया जाता है.
अब यह तो हो गया कि एग्जिट पोल में आंकड़ें कहां से आते हैं. अब यह सटीक है या नहीं यह अपने आप में सवाल है. विधानसभा का चुनाव क्षेत्रीय मुद्दे पर होता है. नली, गली, सड़क और भवन को लेकर मतदाता वोट करते है. ऐसे में हर बूथ के मतदाताओं की अलग-अलग समस्या होती है. ऐसे में आंकड़ा सही होगा यह मानना गलत है. जिस तरह से हरियाणा में सभी एग्जिट पोल ने इंडी गठबंधन की सरकार बनते दिखा दिया, लेकिन जब परिणाम सामने आया तो सभी चौक गए. इससे एग्जिट पोल की विश्वसनीयता पर ही सवाल खड़ा हुआ है.
इसके अलावा चुनाव आयोग भी एग्जिट पोल को लेकर बयान दे चूका है. चुनाव आयोग की ओर से कहा गया था कि मतदातान गोपनीय होता है. एग्जिट पोल से माहौल बनाया जाता है. लेकिन आने वाले समय में इसपर भी लोग सोचेंगे कि कितना सही अनुमान दिखाया जाता है. इसके साथ चुनाव आयोग ने यह भी कहा था कि मतगणना सात बजे से शुरू होती है और चैनलों में 07.10 में ही चला दिया जाता है कि इतनी सीट पर कौन आगे है. यह सब बिना तथ्य के अनुमान पर किया जाता है.
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