रांची(RANCHI): झारखंड में 23 नवंबर को चुनाव परिणाम सामने आएगा. परिणाम क्या होगा यह किसी को मालूम नहीं है. लेकिन सभी अपनी अपनी जीत का दावा कर रहे है.इस बीच ही exit poll ने भी सभी को चौकाया. कुछ एजेंसी इंडी को बहुमत के आकडे तक पहुंचता दिखा रहा है तो कोई एनडीए को. THENEWSPOST स्थानीय स्तर पर किए गए सर्वे को आप तक पहुंचाने की कोशिश कर रहा है. सबसे पहले संथाल परगना प्रमंडल की 18 सीट पर कौन जीत रहा है और कहां बाजी बीच में अटकी दिख रही है इसके बारे में बताते है.
कहा जाता है कि संथाल परगना प्रमंडल से जिस पार्टी को ताकत मिलती है. राज्य में सत्ता उसी की होती है.इस प्रमंडल में 18 सीट है. जहां फिलहाल 2019 के चुनाव में झामुमो का दबदबा रहा. लेकिन इस बार के चुनाव में कई सीट लॉस होती दिख रही है.जिससे बेचैनी दोनों तरफ है. सबसे पहले राजमहल सीट की बात करें तो यहाँ भाजपा और झामुमो में काटे की टक्कर है. भाजपा से अनंत ओझा है और झामुमो से मोहम्मद तजुद्दीन चुनावी अखाड़े में है.ऐसे में देखे तो इस लड़ाई में दंगल कौन मारेगा यह बताना मुश्किल है. लेकिन इसमें अनंत ओझा जीत के करीब दिख रहे है.हार जीत काफी कम मार्जिन से होने की संभावना है.
दूसरी सीट बोरियों विधानसभा है. यहाँ झामुमो के बागी लोबिन पहली बार भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ रहे है. इस सीट पर राज्य गठन के बाद कोई भी पार्टी रिपिट नहीं हुई है. एक बार भाजपा तो एक बार झामुमो को जीत मिली है. ऐसे में देखे तो यहाँ झामुमो से धनंजय सोरेन है और भाजपा से छह बार के विधायक लोबिन अखाड़े में है. जमीनी सर्वे को देखा जाए तो लोबिन जीत के काफी करीब है.
बरहेट सीट राज्य की सुपर हॉट सीट है. इस सीट से खुद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन चुनाव लड़ रहे है. इनके सामने भाजपा से गमाइल हेमबरम चुनावी दंगल में है. अगर राज्य गठन से अब तक के विधानसभा चुनाव को देखे तो यह सीट झामुमो के लिए सबसे सेफ सीट में से एक है. ऐसे में यहाँ हेमंत सोरेन की जीत पक्की है.बरहेट में मुस्लिम आदिवासी का एक बड़ा वोट बैंक है. जिसे माना जाता है कि झामुमो के अलावा कही और नहीं कास्ट करते है.
लिट्टी पाड़ा सीट पर पहली बार भाजपा का झण्डा बुलंद होने की संभावना दिख रही है. राज्य गठन के बाद अब तक कभी झामुमो के अलावा किसी दूसरे दल की जीत नहीं हुई है. लेकिन यहाँ इस बार परिणाम उलट होने वाला है. इसके पीछे झामुमो के प्रति स्थानीय स्तर पर नाराजगी और पार्टी में टूट है. दरअसल दिनेश विलयन मरांडी सीटींग विधायक थे लेकिन झामुमो ने इस बार ड्रॉप कर दिया.और टिकट हेमलाल मुर्मू को दे दिया. जिससे नाराज दिनेश ने भाजपा का दामन थाम लिया. साथ ही भाजपा उम्मीदवार बाबुधन मुर्मू को समर्थन किया है. जिससे मजबूती भाजपा को मिली है. संभवना जताई जा रही है कि जीत के करीब बबूधन पहुँच जाए.
पाकुड़ विधानसभा में पहली बार महिला विधायक बनने जा रही है. कांग्रेस ने आलमगीर आलम की पत्नी निशांत आलम को चुनावी दंगल में उतारा है. सामने आजसू से अज़हर इस्लाम है. इसके अलावा समाजवादी पार्टी से अकील अख्तर है. लेकिन आलमगीर आलम के जेल में रहने से सहाणभूति और आलमगीर के काम पर मतदाताओं ने निशात पर मुहर लगा दी है. संभावना है कि कांग्रेस जीत के करीब है.
महेशपुर विधानसभा में झामुमो से स्टीफन मरांडी है,और भाजपा से नवनीत हेमब्रम चुनावी दंगल में है. नवनीत पहली बार चुनाव लड़ रहे है. इस सीट पर जीतना काफी कठिन है. जमीनी तैयारी ना के बराबर है. वहीं झामुमो से स्टीफन मरांडी है जो हमेशा क्षेत्र में बने रहते है.इससे हार और जीत का भी अनुमान साफ है. झामुमो फिर इस सीट से विजयी का झण्डा बुलंद करेगी.
दुमका झारखंड की उपराजधानी है. राज्य गठन के बाद इस सीट पर भाजपा एक बार ही झण्डा बुलंद करने में सफल हुई है. हर बार के चुनाव में दूसरे नंबर पर रुक जाती है. ऐसे में देखे तो इस बार के चुनाव में दुमका सीट से बसंत सोरेन झामुमो के उम्मीदवार है. वहीं भाजपा से पूर्व सांसद सुनील सोरेन है.ऐसे में जहां शहरी इलाकों में भाजपा की पकड़ है. लेकिन ग्रामीण इलाकों में आज भी मतदाता तीर धनुष देख कर वोट देते है. ऐसे में फिर बसंत सोरेन चुनाव में जीत के काफी करीब है.
शिकारिपाड़ा विधानसभा सीट 50 साल से झामुमो के कब्जे में है.नलिन सोरेन सात बार इस सीट से विधायक रहे है. इनके लोकसभा जाने के बाद अब आलोक सोरेन को तीर धनुष की कमान मिली है. पहली बार विधानसभा का चुनाव लड़ रहे है. माना जा रहा है कि इस सीट पर झामुमो को हराना मुश्किल है. इस चुनाव में भी स्थानीय मुद्दे को लेकर मतदाताओं ने आलोक को विधानसभा भेजने की तैयारी कर लिया है. संभवना जताई जा रही है कि बड़े अंतर से चुनाव जीत कर विधानसभा पहुंचेंगे.
जरमुंडी विधानसभा सीट इस बार कांग्रेस के हाथ से निकल सकती है. बदाल पत्रलेख दस साल तक इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर चुके है. लेकिन इस चुनाव में विदाई तय मानी जा रही है. जरमुंडी से संभवतीत जीत के करीब देवेन्द्र कुँवर है.भाजपा ने कुँवर पर भरोसा दिखाया और साल 2000 के बाद 2024 में फिर से कमल खिला सकते है. इस बार के चुनाव में देवेन्द्र जीत के करीब है. जीत का मार्जिन काफी नजदीक का हो सकता है.
जामा सीट झामुमो का गढ़ माना जाता है. इस सीट से शिबू सोरेन,स्व दुर्गा सोरेन और सीता सोरेन चुनाव जीत चुकी है. इस बार झामुमो के टिकट पर लुईस मरांडी चुनाव लड़ रही है. माना जा रहा है कि लुईस चुनाव जीत रही है.सामने सुरेश मुर्मू भाजपा से चुनावी दंगल में है. हार जीत का अंतर काफी कम से होने की संभवना है.
जामताड़ा सीट पर सभी की नजर है. एक तरफ सोरेन परिवार की बहु भाजपा से उम्मीदवार है तो सामने कांग्रेस से डॉ इरफान अंसारी है. इरफान लगातार दो बार चुनाव जीत कर विधानसभा पहुंचे है. इरफान की एक मजबूत कड़ी उनके पिता है.संगठन के साथ साथ पिता फुरकान अंसारी की पकड़ क्षेत्र में मजबूत है. लगातार फुरकान अंसारी जामताड़ा से चार बार विधायक चुने जा चुके है. अब फिर इरफान विधानसभा जाने को तैयार है. संभवना है कि इरफान एक बड़े मार्जिन से सीता को हरा कर सदन पहुंचेंगे.
नाला सीट पर इस बार झामुमो को झटका लग सकता है.इस सीट से विधानसभा अध्यक्ष रवींद्र नाथ महतो अखाड़े में है. वहीं भाजपा ने माधव चंद्र महतो पर भरोसा दिखाया है. माना जा रहा है कि इस बार के चुनाव में रवींद्र महतो को हार का सामना करना पड़ सकता है.
सारठ सीट पर भाजपा का झण्डा बुलंद होता दिख रहा है. देवघर से इस बार लालटेन जलने की संभवना है. मधुपुर को बचाने में हफीजुल अंसारी (झामुमो) कामयाब होते दिख रहे है. वहीं गोड्डा में काटे कि टक्कर है. राजद और भाजपा दोनों कतार में खड़े है. इस लड़ाई में अमित मण्डल जीत के करीब है.पोड़ैयाहाट जीतने में प्रदीप यादव ( कांग्रेस) सफल हो सकते है. महगामा दीपिका पांडे सिंह कांग्रेस के हाथ को उचा कर विधानसभा पहुँच सकती है.
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