धनबाद(DHANBAD): दीपावली आते ही झरिया- धनबाद के लोग सिहर उठते है. 25 अक्टूबर "1992 को झरिया में दीपावली की रात लोमहर्षक घटना घटी थी. जिसमें अधिकृत आंकड़ों के मुताबिक 29 लोगों की जान गई थी, जबकि गैर अधिकृत संख्या 60 के आसपास बताई जाती रही है. उस रात दृश्य ऐसा था कि एक - एक घर से तीन-तीन लाशें निकल रही थी. लाशों की पहचान भी नहीं हो पा रही थी. बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद घटना के बाद झरिया आये थे. धनबाद के उपायुक्त ब्यास जी थे. इस घटना के बाद लगभग 8 से 10 साल तक झरिया में पटाखे की बिक्री पर रोक लगा दी गई थी. पटाखा दुकान झरिया में 2000 के बाद से चालू हुई. दिवाली की रात एक पटाखा दुकान की आग से बाजार में अफरा तफरी मच गई थी.
सकरी गली की सिंदुरिया पट्टी से भड़की थी आग
सकरी गली की सिंदुरिया पट्टी में उस समय हजारों लोगों की भीड़ दीपावली की खरीदारी में व्यस्त थी. तभी एक चिंगारी से भड़की आग ने देखते-देखते पूरे क्षेत्र को अपनी चपेट में ले लिया था. झरिया पटाखा कांड के बाद धनबाद प्रशासन क्या ,पूरी राज्य सरकार हिल गई थी. 5 दिनों तक सिंदुरिया पट्टी सील रखा गया था. जांच- पड़ताल की गई थी. उसके बाद तो पटाखा विक्रेताओं पर कड़ी निगरानी रखी जाने लगी थी. इस बार भी जिला प्रशासन ने चौकसी बरती है और खुले स्थान पर ही पटाखे की बिक्री की अनुमति दी गई है. जरूरत है, जिस जगह पर पटाखा बेचने की अनुमति दी गई है, उन्हीं जगहों पर पटाखे की बिक्री हर हाल में हो. खरीदारों को भी सचेत रहना होगा, ऐसे पटाखे का उपयोग न करें, जो खतरा बन सकते है.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो
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