ED Raid: बड़े ओहदेदारों से कारोबारियों के चैट मिलने के संकेत, क्यों आगे खुल सकता है मजबूत गठजोड़ का धागा
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धनबाद(DHANBAD): झारखंड से लेकर बंगाल तक सन्नाटा है. धनबाद के कोयला जगत में तो गजब का सन्नाटा दिख रहा है. कोयले के अवैध कारोबार से जुड़े लोग या तो भूमिगत हो गए हैं अथवा अपना मोबाइल बंद कर लिया है. जिस अनुपात में प्रवर्तन निदेशालय के अधिकारी धनबाद से कागजात का पिटारा लेकर गए हैं, इससे कई अनुमान लगाए जा रहे है. दरअसल, धनबाद के कारोबारियों का लिंक बाहर के कारोबारियों से भी जुड़ा होता है. बाहर से यह दिखता नहीं है, लेकिन जांच में इसके खुलासे होते रहे है. इधर, यह भी संकेत मिल रहे हैं कि प्रवर्तन निदेशालय के अधिकारियों को झारखंड के बड़े -छोटे अधिकारियों से डिजिटल चैट भी मिले हैं और कुछ साक्ष्य भी मिले है. जिसे बड़े पैमाने पर रोज हो रही कोयला तस्करी के सबूत के तौर पर देखा जा रहा है. सूत्र बताते हैं कि आने वाले दिनों में चैट से बड़ा खुलासा हो सकता है. दुमका और नाला में बड़े पैमाने पर बालू सिंडिकेट की सक्रियता का भी पता चला है.
धनबाद में कहां -कहां हुई थी छपेमारी
ईडी की टीम ने शुक्रवार को धनबाद में 17 और दुमका में एक जगह पर छापेमारी की थी. इस छापेमारी का असर यह हुआ है कि कोयला सिंडिकेट में सन्नाटा पसर गया है. चमचमाती गाड़ियों में घूमने वाले सिंडिकेट के सदस्य भूमिगत हो गए है. धनबाद में जिन 17 जगह पर छापेमारी की गई थी, उनमें एलबी सिंह, कुंभनाथ सिंह, संजय खेमका, अनिल गोयल, दीपक पोद्दार, हेमंत अग्रवाल, गणेश अग्रवाल, अरविंद सिंह, विनोद महतो, सनी केसरी, रमेश गोप , विनोद महतो, अनिल गोयल के अकाउंटेंट वाहिद के ठिकानों पर छापेमारी हुई थी.
डिजिटल चैट और मोबाइल डाटा डिलीट करने के भी सबूत के संकेत
कई जगहों पर डिजिटल चैट और मोबाइल डाटा डिलीट करने के भी सबूत मिले है. अब ईडी की टीम इन सबूतो को रिकवर कर, हो सकता है कि मजबूत गठजोड़ का धागा खोले. अनुमान हनुमान लगाया जा रहा है कि कोयला चोरी और स्मगलिंग कर 100 करोड रुपए से भी अधिक का नुकसान सरकार को किया गया है. कोयला उद्योग के इतिहास में पहली बार ईडी ने एक साथ 40 जगह पर छापेमारी की. बंगाल के 24 जगह पर और झारखंड के 18 जगह पर सर्च ऑपरेशन चलाया गया. यह बात पूरी तरह से सच है कि कोयले की खनक पर ही कोयलांचल की राजनीति चमकती है.
कोयले के धंधे में मजबूत गठजोड़ के होते रहे है खुलासे
कोयला अधिकारी, कोयला कारोबारी और राजनीति में मजबूत गठजोड़ की वजह से सरकारों को भी नुकसान होता है. अधिकारियों को भी लाभ होता है और कोयला कारोबारी देखते- देखते फर्श से अर्श पर पहुंच जाते है. धनबाद तो कोयले की राजधानी कही जाती है और धनबाद की राजनीति और कोयला कारोबार में मजबूत गठजोड़ रहता है. यही वजह है कि राजनीतिक दल के लोग कोयले के कारोबार को लेकर एक दूसरे से आगे निकलने की कोशिश करते है. कोयले के अवैध कारोबार में भारी कैश फ्लो होता है, राजनीतिक फंडिंग की भी बातें सामने आती रही है . राजनीति में शामिल लोग भी कोयले के कारोबार में हिस्सेदार रहे है. इसके भी खुलासे कई बार हुए है.कोयला चोरी को लेकर इतनी बड़ी छापेमारी का पहली बार गवाह बना है कोयलांचल.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो
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