दुमका (DUMKA): दुमका जिले के शिकारीपाड़ा थाना क्षेत्र में कॉल ब्लॉक का मामला गरमाने लगा है. ढोलकाटा, सिमानीजोर एवं पातपहाड़ी गांव में अनुमंडल पदाधिकारी कौशल कुमार के नेतृत्व में ग्रामसभा कर, कोल कंपनी के लिए टेस्टिंग बोरिंग कराने हेतु ग्रामसभा की सहमति लेने गए पदाधिकारियों की टीम को ग्रामीणों के विरोध का सामना करना पड़ा. जिसके कारण टीम को खाली हाथ वापस लौटना पड़ा. बता दें कि ग्रामीण कोल ब्लॉक के लिए जमीन देने के लिए तैयार नहीं है.
ग्रामीणों द्वारा किया गया विरोध
ज्ञात हो कि झारखंड सरकार द्वारा कई वर्ष पूर्व शिकारीपाड़ा प्रखंड क्षेत्र में तीन कोल कंपनियों के साथ कोयला खनन के लिए एएमयू किया गया था. हरियाणा की एक कंपनी ग्रामीणों के विरोध के कारण शुरुआती दौर में ही क्षेत्र छोड़कर चली गई. वर्तमान समय में जामरू पानी, शहरपुरबेस के 20 गांव में कोयला खनन के लिए उत्तर प्रदेश विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड के साथ झारखंड सरकार का एमयू है. सारी प्रक्रिया पूरी करते हुए अंतिम दौर में टेस्टिंग बोरिंग करने की स्थिति में पहुंच चुका है. जिला प्रशासन भी टेस्टिंग बोरिंग कराने के लिए सरकारी भूमि चिन्हित करते हुए ग्रामसभा से सहमति लेने का प्रयास कर रही है. पूर्व में अंचल अधिकारी द्वारा संबंधित गांव के ग्राम प्रधानों को नोटिस जारी कर अपने-अपने गांव में ग्रामसभा करते हुए कोयला खनन हेतु सहमति पत्र प्रस्तुत करने के लिए निर्देश दिया गया था. लेकिन विरोध के कारण वह संभव नहीं हो सका.
ग्रामीणों ने पदाधिकारियों को लौटाया वापस
अब जिला स्तर से वर्तमान समय में एक टीम गठित कर जिस गांव में टेस्टिंग बोरिंग करना है. वहां ग्राम सभा आयोजित कर ग्रामसभा से सहमति पत्र लेने का प्रयास शुरू किया गया है. लेकिन प्रसाशन को सफलता नहीं मिल रही है. मंगलवार को प्रखंड स्तरीय टीम जब ग्रामसभा कराने के लिए क्षेत्र में गई. तो ग्रामीणों ने उन्हें बैरंग वापस लौटा दिया. बुधवार को एक बार फिर अनुमंडल पदाधिकारी कौशल कुमार, अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी नूर मुस्तफा अंसारी, प्रखंड विकास पदाधिकारी संतोष कुमार चौधरी, अंचल अधिकारी राजू कमल, अंचल निरीक्षक स्नेह लता मुर्मू, महिला प्रसार पदाधिकारी तरेसा मुर्मू, राजस्व कर्मचारियों एवं संबंधित पंचायत के पंचायत सचिव ग्रामसभा कराकर सहमति लेने के लिए जब ढोलकाटा गांव पहुंचे तो ग्रामीण द्वारा पुरजोर विरोध किया गया.
इसके बाद जब पदाधिकारियों की टीम सीमानीजोर गांव पहुचीं तो वहां भी ग्रामीण ढोल नगाड़ा बजा कर प्रदर्शन करते हुए पदाधिकारियों की टीम को वापस कर दिया. तीसरे गांव पात पहाड़ी का भी यही नजारा था. पदाधिकारियों को बगैर ग्रामसभा कराए ही बैरंग वापस लौटना पड़ा.
रिपोर्ट. पंचम झा
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