देवघर(DEOGHAR): अपनी मांगों के समर्थन में आदिवासी सेंगल अभियान के तहत आदिवासी समुदाय द्वारा आज पांच राज्यों रेल रोको, चक्का जाम किया गया है. आदिवासी समाज द्वारा आज तिलका मांझी के जन्म दिवस के अवसर पर अपनी मांगों को आवाज बुलंद करने के लिए यह कार्यक्रम आयोजित किया गया है. बिहार, बंगाल, झारखंड, छत्तीसगढ़ और उड़ीसा राज्य के विभिन्न जगहों में रेल चक्का रोककर विरोध प्रकट किया जा रहा है. रेल चक्का जाम होने से दर्जनों गाड़ियां इधर-उधर फंस गई है. दरअसल आदिवासी सेंगेल अभियान मरांग बुरू को बचाने, पलायन कर गए आदिवासियों और मूलवासियों को जमीन देने, स्थानीय नीति को लागू करने, सरना कोड को लागू कराने सहित अन्य मांगों को लेकर अनिश्चितकालीन रेल रोको, चक्का जाम किया गया है.
पारसनाथ पहाड़ को आदिवासी को देने की मांग
गिरिडीह स्थित पारसनाथ पहाड़ ही नहीं बल्कि देश के सभी पहाड़ पर्वतों को आदिवासियो को जब तक नहीं सौपा जाएगा, यह अनिश्चित कालीन रेल रोको अभियान जारी रखने की बात की जा रही है. खासकर पारसनाथ पहाड़ को आदिवासी को देने की मांग तेज़ स्वर में उठ रही है. आंदोलन कर रहे आदिवासियों की माने तो इनका कहना है कि पारसनाथ मरांग बुरू पर आदिवासियों का अधिकार है न कि जैनियों का. झारखंड के गिरिडीह जिला स्थित मधुबन पारसनाथ में आदिवासी को देने के लिए और लंबित सरना धर्म कोड को लागू करने के लिए यह आंदोलन किया जा रहा है. देवघर के मथुरापुर स्टेशन पर रेल चक्का जाम कर हावड़ा दिल्ली मुख्य मार्ग पर ट्रेनों का परिचालन बाधित किया गया है. सैकड़ों की संख्या में आदिवासी समाज द्वारा रेल पटरी से लेकर प्लेटफार्म तक कब्जा कर लिया गया है. आरपीएफ और जीआरपी द्वारा जाम हटाने का अनुरोध किया जा रहा है, लेकिन अपनी मांगों को अविलंब पूरा कराने के लिए इनका आंदोलन जारी है.
रिपोर्ट: रितुराज सिन्हा, देवघर
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