दुमका (DUMKA) : कहते है भारत की आत्मा गांव में बसती है और हाल के कुछ दिनों से रुक रुक कर हो रही वर्षा ने गांव रूपी आत्मा की सूरत बिगाड़ कर रख दी है. वर्षा ने कई क्षेत्रों में विकास के दावों की पोल खोल कर रख दी है. ऐसा ही एक नजारा देखने को मिलादुमका जिला के रामगढ़ प्रख़ंड के कांजवे पंचायत के कनियाजमाई गांव के पास. ज़िप सदस्य अनिता देवी की अगुवाई में पांच गांव के लोगों ने रोड की मांग को लेकर अनोखा प्रदर्शन किया. वैसे तो वोट बहिष्कार किसी समस्या का समाधान नहीं है इसके बाबजूद ‘‘रोड नहीं तो वोट नहीं’’ का नारा बुलंद करते हुए दुमका सांसद सुनील सोरेन और जामा विधायक सीता सोरेन के विरुद्ध जमकर नारेबाजी की.
नरकीय जीवन जीने पर विवश
विरोध प्रदर्शन की एक तस्वीर ग्रामीणों का दर्द बयां करने के लिए काफी है। कैसे कीचड़ युक्त सड़क पर ग्रामीण प्रतिदिन गुजरते होंगे और जब किसी की तबियत बिगड़ती है तो जुगाड़ू एम्बुलेंस के सहारे मरीज को मुख्य सड़क तक लाया जाता है. इस अनोखे विरोध प्रदर्शन में बोकना, कनियाजमाई, पहलूडीह, बाबुपुर तथा मायापुर के ग्रामीण शामिल हुए। जिप सदस्य अनीता देवी का कहना है कि देश की आजादी के 75 वर्षो बाद भी इन पांच गांवों के ग्रामीण पक्की सड़क के अभाव में नरकीय जीवन जीने पर विवश हैं. उन्होंने बताया कि अगर इन पांचों गांव में कोई गंभीर रुप से बिमार हुआ तो कोई गाड़ी या एंबुलेंस गांव तक नहीं पहुंच पाता है. ग्रामीणों को अंत में बीमार या गर्भवती महिला को खटिया में टांग कर कनीयाजमाई मुख्य सड़क लाकर ही रामगढ़ या दुमका इलाज के लिये ले जाना पड़ता है.
आगामी लोकसभा एंव विधानसभा चुनाव का बहिष्कार
समाजिक कार्यकर्ता जीतलाल राय ने कहा कि चुनाव के समय नेताओं ने गांव आकर लोगों को पक्की सड़क बनाने का सपना दिखाकर हमेशा ठगने का काम किया है.उन्होंने जिला प्रशासन तथा झारखंड के हेमंत सोरेन सरकार को इस चेतावनी दिया है कि अगर कनियाजमाई मुख्य सड़क से पहलूडीह बाबुपुर पक्की सड़क नहीं बना तो पांचो गांवों के ग्रामीण आगामी लोकसभा एंव विधानसभा चुनाव का बहिष्कार करेंगे. चुनाव के समय गांवों में बांस का बेरियर लगाकर किसी भी नेता को प्रवेश नहीं करने देंगे.
ग्रामीणों का सांसद पर आरोप
लोगों ने की चड़युक्त सड़क पर खटिया में बीमारी आदमी को टांगकर इलाज हेतु ले जाने को लेकर सांसद, विधायक और झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को दिखाया कि किस प्रकार यहां कै लोग सड़क के अभाव में नरकीय जीवन जीने पर विवश हैं.महिलाओं ने कहा कि एक तरफ सरकार महिला सशक्तिकरण का दावा कर रही हैं वहीं पक्की सड़क के अभाव में गर्भवती महिलाओं की जान संकट में पड़ी है. ग्रामीणों का आरोप है कि सांसद सुनील सोरेन और विधायक सीता सोरेन ने चुनाव जीतने के बाद कभी भी इन पांचों गांवों में दर्शन नहीं दिया तो सड़क ये लोग खाक बनायेंगे। लोगों ने कहा कि एक माह के अंदर कनियाजमाई से पहलुडीह बाबुपुर तक पक्की सड़क निर्माण कार्य शुरू नहीं होने पर ग्रामीण उग्र आंदोलन के लिए बाध्य होंगे.
सड़क अभाव में छात्रों की पढ़ाई बाधित
The News Post वोट बहिष्कार का समर्थन नहीं करता क्योंकि हमारा मानना है कि वोट बहिष्कार से किसी समस्या का समाधान नहीं हो सकता. लेकिन सवाल उठना लाजमी है कि आजादी के 75 वर्षों बाद भी जब प्रसव वेदना से तड़पती महिला की जान सड़क के अभाव में चली जाए, ग्रामीणों को पैदल गुजरना भी मुश्किल होने लगे, सड़क के अभाव में छात्रों की पढ़ाई बाधित होने लगे तो फिर आम आदमी हो या मीडिया कर्मी, विकास को खोजने का प्रयास तो करेंगे ही। केंद्र सरकार हो या राज्य सरकार विकास की कई योजनाएं बनाती है. विकास के नाम पर पानी की तरह रुपया बहाया जाता है, जनप्रतिनिधि विकास के दंभ भरते हैं तो फिर यह पंचायत उपेक्षित क्यों रह गया.
अब तक नहीं हुई कोई पहल
राजनीति के चश्मे से देखें तो इस क्षेत्र में सोरेन परिवार का दबदबा रहा है। वर्षो तक शिबू सोरेन इस क्षेत्र के सांसद रहे, विधायक के तौर पर लोगों ने दुर्गा सोरेन से लेकर सीता सोरेन तक को अपना कीमती वोट देकर विधान सभा पहुचाया. बदलाव की बयार में एक बार लोगों ने सुनील सोरेन को विधायक बनाया तो गत लोक सभा चुनाव में उन्हें वोट देकर सांसद बनाया, इसके बाबजूद यह क्षेत्र उपेक्षित ही रह गया. विकास का जिम्मा पंचायत प्रतिनिधि से लेकर जिला प्रशासन के कंधों पर भी जाता है लेकिन शायद इस स्तर से भी पहल नहीं हुई. सामूहिक प्रयास से ही समस्या का समाधान हो सकता है. अन्यथा ग्रामीण जब त्रस्त होंगे तो परेशानी सब की बढ़ेगी क्योंकि चुनाव आने वाला है.
रिपोर्ट:पंचम झा
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