दुमका(DUMKA):संताल समाज का सबसे बड़ा पर्व सोहराय को माना जाता है. इसकी तुलना हाथी से की जाती है. 5 दिनों तक चलने वाले सोहराय पर्व के प्रत्येक दिन का अलग-अलग नाम है और सबका अलग महत्व है. प्रकृति पूजा के साथ साथ भाई बहन के अटूट प्रेम का त्यौहार है सोहराय, जिसका इंतजार संताल समाज के लोगों को बेसब्री से रहता है.
परंपरागत परिधान में खबू झूमे लोग
रविवार दुमका के दिसोम मांझी थान में दिसोम पाराणिक बिनीलाल टुडू की अध्यक्षता में दिसोम सोहराय पर्व धूमधाम से मनाया गया. सर्वप्रथम दिसोम नायकी सीताराम सोरेन ने मरांग बुरु, जाहेर एरा, गोसाई एरा के साथ सभी ईस्ट देवी देवताओं को मुर्गा की बलि देकर पूजा अर्चना की.प्रसाद ग्रहण करने के बाद सामूहिक रूप से सोहराय नृत्य प्रस्तुत किया गया. बूढ़े, बच्चे, महिला, पुरुष सभी परंपरागत परिधान में सोहराय के गीत पर झूमते नजर आए.
मौके पर कई गणमान्य लोग रहें मौजूद
कार्यक्रम में अतिथि शिवा बास्की, दिलीप बास्की, अमिताभ सोरेन शरीक हुए. कार्यक्रम को सफल बनाने में सुरेश चंद्र सोरेन, टेक लाल मरांडी, चंद्रनाथ हेंब्रम, सनातन किस्कू ,सुशील मरांडी, अंजनी बेसरा, झुमरी सोरेन, पिंकी किस्कू, शांति मुर्मू आदि का सराहनीय योगदान रहा.
रिपोर्ट-पंचम झा
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