टीएनपी डेस्क (TNP DESK):-पिछले दिनों हुई बारिश ने सड़क किचकिच कर दी, किसानों के चेहरे पर मुस्कान बिखेर दी, उमस भरी गर्मी में ठंडक का अहसास कर दिया. लेकिन, पिछले दो दिन से आसमान में एकबार फिर धूप खिल गई है औऱ लोगों को पसीने से तर बतर कर रही है. लेकिन, भादो के इस महीने में बारिश तो जमकर होनी है. ऐसा मौसम विभाग ने संभावना जताई है. बताया गया है कि झारखंड में 12 सितंबर से मानसून के फिर सक्रिय होने की आशंका है. इसके पीछे वजह मौसम विभाग के अनुसार झारखंड में मध्यप्रदेश से लेकर राजस्थान तक बने निम्न दबाव के छत्तीसगढ़ तक कायम होने का असर पड़ेगा. 12 से लेकर 15 सितंबर तक राज्य के कई हिस्सों में हल्के से मध्यम दर्जे की बारिश होने का अनुमान है.
झारखंड से गुजर रहा मानसून ट्रफ
मौसम विभाग ने बताया है कि अभी मानसून ट्रफ भी झारखंड से गुजर रहा है. यह टर्फ देश के पश्चिमी भाग स्थित जैसलमेर, कोटा, सिद्धि, जमशेदपुर, दीघा होते मध्य खाड़ी से लेकर उत्तर पूर्व तक कायम है. इसके चलते पूरे राज्य में बारिश की संभावना जताई जा रही है जिसका सीधा असर प्रदेश पर भी पड़ेगा. 12 सितंबर से होने वाली बारिश के मद्देनजर यह उम्मीद जताई जा रही है कि राज्य में मानसून में कम हुई बारिश की भरपाई हो जायेगी. राज्य में मानसून सामान्य से कम 33 फीसदी है. रांची में इसकी कमी 38 फीसदी तक है.
14 सितंबर तक अलर्ट
मौसम विभाग ने मानसून के सक्रिय रहने के चलते 14 सितंबर तक बारिश की संभावना जताई है. इसके साथ ही 14 सितंबर तक अलर्ट जारी कर दिया गया है. मौसम विभाग ने ये भी बताया है कि सोमवार को राज्य के कई हिस्सों में आसमान में बादल छाए रहेंगे औऱ छिटपुट पानी बरस सकता है. मौसम विभाग ने उन इलाकों को लेकर भी सतर्क किया है जहां बारिश नहीं हुई, धूप के बाद बारिश हो रही है उन इलाकों में वज्रपात की भारी संभावना है.
राज्य में सामान्य से कम बारिश
यह दूसरा साल है कि जब झारखंड में कम पानी बरसने से सूखे के हालात पैदा कर दिए है. हालात इस कदर हो गये थे कि किसानों के चेहरे पर मुस्कान गायब थी. भादो में हुई बारिश से खेतों में लगी धान की फसल में जान आ गई. हालांकि, जितनी धान रोपनी इस साल खेतों में होनी थी, उतनी नहीं हो सकी है. इसकी वजह बारिश है. बेशक कुछ दिन पहले लगातार बारिश से हाल बेहाल कर दिया. लेकिन, फिर भी प्रदेश में इस साल मानसून कमजोर ही रहा है. राज्य में एक जून से लेकर अब तक 591.7 मिमी बारिश हो चुकी है. यह सामान्य वर्षापात 873.8 से 32 फीसदी कम है.किसानों को अभी भी इस भादो के महीने में जोरदार पानी बरसने का इंतजार है, ताकि उनकी फसलों की पैदवार शानदार हो.
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