चौंकिए नहीं, धनबाद के 500 मीटर गहरी खदान में बिना धूप, दीप के होती है माँ काली की पूजा ,जानिए क्यों


धनबाद(DHANBAD): चौंकिए नहीं ,यह बात बिल्कुल सच है कि धनबाद में 500 मीटर गहरी खदान में दीपावली के दिन मां काली की पूजा होती है. यह पूजा सांकेतिक होती है. धूप, दीप से परहेज रहता है लेकिन खदान के ऊपर भव्य पूजा की जाती है. जी हां ,हम बात कर रहे हैं बीसीसीएल की मुनीडीह स्थित भूमिगत खदान की. सोमवार यानी आज रात को पूजा की भव्य तैयारी है. खदान के भीतर मां की प्रतिमा स्थापित की जाती है. पूजा पाठ किया जाता है, लेकिन धूप, दीप से परहेज रहता है. यह खदान गैसीय है इसलिए इन सब चीजों से बचा जाता है.
खदान के भीतर 365 दिन रहती है माँ की प्रतिमा
मां की प्रतिमा खदान के भीतर 365 दिन रहती है, खदान में काम करने वाले लोग पहले मां का आशीर्वाद लेते हैं, फिर अपने काम पर जाते है. यह परंपरा बहुत दिनों से चली आ रही है. कोयलांचल के अन्य कोलियरी में भी मां काली की पूजा की परंपरा है. राष्ट्रीयकरण के पहले से ही यह परंपरा चली आ रही है. कोलियरी जब निजी मालिक के हाथों में हुआ करती थी , वह भी इस परंपरा को मानते थे. यह परंपरा आज भी जीवित है. मुनीडीह में तो बिना मां का आशीर्वाद लिए कोई भी कोयलाकर्मी, अधिकारी खदान में काम शुरू नहीं करते. उनकी मान्यता है कि मां का आशीर्वाद लेने के बाद उनका सब काम सही ढंग से होगा और वह सुरक्षित रहेंगे.
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